अभिजीत मुहूर्त में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र की हुई प्राण प्रतिष्ठा

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दमोह पंचकुंडीय गायत्री महायज्ञ से पूर्णाहुति सम्पन्न।* दमोह हेड ब्यूरो एस के पटेल चाणक्य न्यूज़ इंडिया लाइव टीवी

अभिजीत मुहूर्त में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र की हुई प्राण प्रतिष्ठा

गंजबासौदा में नौलखी धाम पर चल रही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव

दमोह पंचकुंडीय गायत्री महायज्ञ से पूर्णाहुति सम्पन्न।* दमोह हेड ब्यूरो एस के पटेल चाणक्य न्यूज़ इंडिया लाइव टीवी

में कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में रामनवमी के पावन मौके पर जब भगवान श्री राम माता सीता व हनुमान जी के साथ विराजमान हुए तो भगवान की एक झलक पाने के लिए घंटों से इंतजार कर रहें हजारों श्रद्धालु और साधु संत गर्भगृह के पट खुलते ही भगवान की मनमोहक छवि निहारकर भाव विभोर हो गए। उन्हें अयोध्या के कनक भवन में विराजमान सीताराम जी की छवि दिखाई दी। पद्मासन मुद्रा में विराजमान भगवान सीताराम की प्राण प्रतिष्ठा का आचार्यों के द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच दोपहर 11 बजकर 55 मिनिट से 12 बजकर 48 मिनिट तक चला। नौलखी धाम पर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का हवन पूजन किया जाता रहा।

दमोह मुनिश्री समय सागर महाराज के आचार्य पदारोहण में पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत -डॉ. मोहन यादव दमोह हेड ब्यूरो एस के पटेल चाणक्य न्यूज़ इंडिया लाइव टीवी

रात को विराजमान हुए भगवान महाप्रभु जगनाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र जी की प्रतिष्ठा 10 बजे से पंचांग मुहूर्त में उड़ीसा जगन्नाथपुरी से आए सात प्रतिष्ठाचार्यों और मुख्य यजमान के द्वारा टिमटिमाते तारे और चंद्रमा की रोशनी में महाप्रभु की गुप्त प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई। महाप्रभु की प्राण प्रतिष्ठा के समय में रात को किसी अन्य यजमान एवं श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। भगवान सीताराम और महाप्रभु जगन्नाथ की एक साथ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल संतों ने कहा कि पहली बार हमकों यह अद्भुत, दुर्लभ संयोग नौलखी पर देखने मिल रहा है। जब अवध से राम जी, माता सीता और सेवक हनुमान और द्वापर से महाप्रभु के रूप में कन्हैया अपनी बहन और भाई के साथ पधारे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान सीताराम सहित अन्य देव प्रतिमाओं को विभिन्न प्रकार के फलाहार के छप्पन भोग वेद मंत्रों के बीच प्रतिष्ठा के यजमानों ने अर्पित किए। महाप्रभ के राजभोग को जगन्नाथपुरी से आए रसोईया रवि नारायण पंडा द्वारा सुअरा पीठा, खट्टा, सागा भाजा, चावल, नारियल, खीर सहित आठ प्रकार का महाप्रसाद राजभोग व्यंजन लकड़ी की भट्ठियों पर तैयार किए गए। राजभोग तैयार होने के बाद सबसे पहले पार्वती जी को भोग लगाया गया। भगवान की छवि के दर्शन किए उसके बाद प्रतिष्ठा के यजमान सहित यज्ञ में बैठे संतों ने भोग लगाया।

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