दमोह समाज का निर्माण युवाओ के नवाचारो से ही सम्भव डॉ अरविंद कुमार जोशी(*अन्तर्राष्ट्रीय समाजशास्त्रीय

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समाज का निर्माण युवाओ के नवाचारो से ही सम्भव
डॉ अरविंद कुमार जोशी(*अन्तर्राष्ट्रीय समाजशास्त्रीय)। दमोह हेड ब्यूरो एस के पटेल चाणक्य न्यूज़ इंडिया

*वैश्विक परिदृश्य और युवाओं की चुनोतिया”
हटा दमोह
महाराजा* छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर से सम्बद्ध शासकीय राघवेन्द्र सिंह हजारी महाविद्यालय हटा,दमोह में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सुनार नदी के तट पर भगवान शिव पार्वती की नगरी बांदकपुर और आचार्य श्री विद्या सागर जी की तप स्थली कुण्डलपुर की पवित्र धरा में 1982 में स्थापित महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग ने हाई ब्रिड मोड पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन कर सिद्ध कर दिया कि संसाधनों की कमी हमारी इच्छा शक्ति को बाधित नही कर सकती।
महाविद्यालय सभागार में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आरके ढाका जी मंच अध्यक्षता प्रथम दिवस में की। मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय समाजशास्त्री डॉ अरविंद जोशी,विशिष्ट अतिथि डॉ शेलेन्द्र पाराशर, उज्जैन, मुख्य वक्ता डॉ महेश शुक्ल रीवा और युवा समाजशास्त्री ध्रुव कुमार दीक्षित जबलपुर ने विद्या की देवी मां सरस्वती जी के पूजन अर्चन के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। साथ ही महाविद्यालय की छात्राओ ने संगीत के साथ सरस्वतीवंदना, स्वागत गीत बुन्देलखण्ड की बुनदेली मे और मध्यप्रदेश गान की शानदार प्रस्तुती से सभी आगन्तुको को भाव विभोर कर दिया । संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ शिवानी रॉय ने सभी आगंतुक अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया, इसी क्रम में प्राचार्य ढाका जी ने भी प्रतीक चिन्ह और शॉल से अथितियो का स्वागत किया,
डॉ शिवानी रॉय ने बताया कि युवा समाज की धुरी होते हैं लेकिन वैश्विक परिदृश्य में युवाओं के सामने चुनोतियों का अंबार लगा है, युवा सोच ही नही पा रहा कि पूर्व को आत्मसात करें या पश्चिम को। इस शोध संगोष्ठी में 78 शोध पत्र हमें प्राप्त हुए हैं जिनका पुस्तकार स्वरूप संकल्प प्रकाशन कानपुर द्वारा किया जा रहा है।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय समाजशास्त्री डॉ अरविंद जोशी वाराणसी ने अपने उदबोधन में युवाओं के विविध सामाजिक आयामों का समाजवैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताया युवा समाज के लिए अण्डविक ऊर्जा है जो समाज को संगठित, नियमित रखते हुए विकसित करती है। समाज का निर्माण युवाओं के नवाचारों से ही होता आ रहा है।आज युवा के सामने प्रतिस्पर्धा की चुनोती है, सामाजिक संस्कारों की चुनोती है।
महाकाल और सांदीपनि की पावन धरा के यशस्वी समाजशास्त्री शैलेन्द्र पाराशर उज्जैन ने कहा कि आज का युवा अपनी आध्यात्मिक ताकत को भूलकर इंटरनेट की ताकत में अपने कैरियर को बनाने की जद्दोजहद में उलझकर अपना जीवन खराब कर रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार मे देश विदेश के कोने कोने से मध्यप्रदेश के अतिरिक्त उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान,उत्तरप्रदेश, प्रयागराज, बनारस ,लखनऊ दिल्ली ,छत्तीसगढ ,असम,कलकत्ता इतयादि से अधिक रजिस्ट्रेशन किए गये और प्रतिभागीगण आफलाइन और आनलाइन अपना पेपर प्रजेंटेशन किया। पूरे कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रणब ठाकुर जी ने किया। अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार मे महाविद्यालय परिवार और एन एस एस को वालंटियर का सहयोग और उपस्थिति विशेष महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय रही।

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