MUMBAI खून से लथपथ मिली थी एक्ट्रेस बिदूषी की लाश:एक रोज पहले पति से झगड़ा हुआ था, 12 साल बाद भी अनसुलझी है मौत की गुत्थी
MUMBAI 22 अक्टूबर 2012 की बात है। अंधेरी (वेस्ट) की कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाली 23 साल की साउथ एक्ट्रेस बिदुषी दास बर्दे के लिए एक आम दिन था।
कभी साउथ सुपरस्टार कमल हासन, ज्योतिका के साथ बड़ी फिल्म में नजर आईं और मिस चेन्नई 2006 रह चुकीं बिदुषी कुछ समय से फिल्मों से दूर थीं और अपना ज्यादातर समय पति के साथ घर में बिताया करती थीं।
उस रोज उनके पति केदार हमेशा की तरह सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर घर से दफ्तर के लिए रवाना हुए थे। बिदुषी ने पति को दरवाजे तक छोड़ा और फिर दरवाजा लगा लिया। दफ्तर पहुंचते ही करीब 9 बजकर 30 मिनट पर केदार ने बिदुषी को कॉल लगाया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। आमतौर ऐसा नहीं होता था, लेकिन उन्हें काम में व्यस्त मानते हुए केदार अपने दफ्तर के काम में जुट गए।
कुछ घंटे बाद उन्होंने दोबारा बिदुषी को कॉल किया, लेकिन जवाब तब भी नहीं मिला। इस बार उन्हें चिंता हुई। उन्होंने एक के बाद एक कई कॉल लगाए, लेकिन बिदुषी न उनका कॉल उठा रही थीं, न मैसेज देख रही थीं।
काम खत्म करके केदार करीब रात 8 बजे घर लौटे। वो डोरबेल बजाते रहे, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिल रहा था। दरवाजे में कान लगाया, तो अंदर से टीवी की आवाज आ रही थी। काफी देर तक इंतजार करने के बाद उन्होंने डुप्लीकेट चाबियों से दरवाजा खोला। जैसे ही वो घर में दाखिल हुए, मंजर दिल दहला देने वाला था। गलियारे में बिदुषी खून से लथपथ पड़ी थीं। चेहरे और गले पर पर टूटे हुए शीशे के टुकड़े से गहरे जख्म बने थे।
पत्नी की ऐसी हालत देख केदार सिहर उठे। मकान मालिक की मदद से वो पत्नी को अंबानी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत घंटों पहले हो चुकी थी।
बिदुषी के चेहरे पर शीशे से बने जख्म बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहे थे। मर्डर केस दायर किया गया, लेकिन 12 साल बाद भी उनकी मौत की गुत्थी अनसुलझी ही है।
आज अनसुनी दास्तान के 3 चैप्टर्स में पढ़िए साउथ एक्ट्रेस और मॉडल बिदुषी दास बर्दे की मौत की कहानी, जिनकी जिंदगी महज 23 सालों में सिमट कर रह गई।
साल 1989 में बिदुषी दास बर्दे का जन्म ओडिशा में हुआ था। ओडिशा में कुछ साल बिताने के बाद बिदुषी चेन्नई शिफ्ट हो गई थीं। कम उम्र से ही उन्हें मनोरंजन जगत में दिलचस्पी थी। स्कूलिंग खत्म करने के बाद करीब 17 साल की उम्र में उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा था। साल 2006 में उन्होंने मिस चेन्नई ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लिया और सेकेंड रनर अप का खिताब भी हासिल किया।
इस पेजेंट के बाद बिदुषी के लिए साउथ फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे खुल गए। कुछ छोटी-मोटी साउथ फिल्मों के बाद वो 2006 में रिलीज हुई तमिल फिल्म वेट्टईयाडू विलैयाडू में नजर आई थीं। इस फिल्म में कमल हासन और ज्योतिका लीड रोल में थे।
बिदुषी महज 20 साल की थीं, जब फिल्मों में पहचान बनाने के दौरान उनकी मुलाकात पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर केदार से हुई। केदार उनसे महज 3 साल बड़े थे। साथ समय बिताते हुए दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था, हालांकि इसके बावजूद दोनों ने साल 2009 में शादी कर ली।
शादी के डेढ़ साल बाद 2010 में दोनों मुंबई शिफ्ट हो गए और अंधेरी (वेस्ट) के एक किराए के अपार्टमेंट में रहने लगे। वहीं जहां 22 अक्टूबर 2012 को उनकी लाश मिली।
मुंबई पुलिस ने लाश मिलते ही उनका शव मुंबई के जे.जे. हॉस्पिटल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी गई। कूपर अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, विले पार्ले पोस्टमार्टम सेंटर ने पाया कि बिदुषी दास की मौत धारदार हथियार से कट लगने और ज्यादा खून बह जाने से हुई है। गले पर लगी गहरी चोट से उन्हें हेमरेजिक शॉक लगा था। फोरेंसिक एनालिसिस के लिए मृत बिदुषी के नाखून और बालों को भी एग्जामिनेशन के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, बिदुषी की मौत 22 अक्टूबर की सुबह ही हो चुकी थी।
फोरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने देखा कि जिस जगह बिदुषी की लाश मिली थी, उसके पास स्थित एक अलमारी का शीशा टूटा हुआ है। जमीन और बिदुषी के गले, गाल और हाथों पर वही कांच के टुकड़े थे। हालांकि, अलमारी पर खून का कोई निशान नहीं था।
शुरुआती तौर पर पुलिस ने लूट के एंगल से जांच शुरू की, लेकिन उनके पति केदार के बयान के अनुसार, घर से कोई भी सामान मिसिंग नहीं था। लूट का एंगल न होने पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस को पहला शक बिदुषी के पति केदार पर हुआ, क्योंकि घर में फोर्स एंट्री के कोई निशान नहीं थे। वहीं केदार के बयान के अनुसार, जब वो घर लौटे तो दरवाजा अंदर से लॉक था। घर की डुप्लीकेट चाबियां भी सिर्फ केदार के ही पास थीं।
जब शक के दायरे में लेते हुए मुंबई पुलिस ने बिदुषी के पति केदार से पूछताछ कि तो उन्होंने पत्नी की बीमारी और झगड़े का खुलासा किया। मुंबई पुलिस के अनुसार, उसके बर्ताव में अचानक बदलाव दिख रहा था।
केदार के बयान के अनुसार, दोनों बीते लंबे समय से मुश्किल दौर से गुजर रहे थे। फाइनेंशियल कंडीशन बिगड़ी हुई थी और बिदुषी को भी फिल्में नहीं मिल रही थीं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर केदार की तनख्वाह महज 60 हजार रुपए थे, जिसमें से वो 22 हजार रुपए किराए के देते थे। कुछ समय पहले ही बिदुषी ने आईलिड सर्जरी और हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था।
केदार ने पुलिस बयान में कहा था कि बिदुषी की मौत से एक रोज पहले रविवार को दोनों के बीच किसी मुद्दे पर झगड़ा हुआ था। झगड़े की अगली सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर वो काम पर निकला। उसने करीब 8 बजकर 15 मिनट पर बिदुषी की खैरियत लेने के लिए उन्हें मैसेज किया, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
बिदूषी को मैसेज करने के बाद केदार ने अपने पिता से बात की, जो एक लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। इसके बाद उसने लगातार बिदुषी को 3 कॉल किए, जिसे उन्होंने पिक नहीं किया। केदार और बिदुषी का परिवार उनकी इस लव मैरिज के खिलाफ था, यही वजह थी कि केदार की बिदुषी के परिवार से बातचीत नहीं होती थी। मगर जब उस रोज बिदुषी ने कॉल नहीं उठाया, तो फिक्रमंद होकर केदार ने शादी के बाद पहली बार उनके पिता को कॉल किया, जो एक एयरफोर्स ऑफिसर हैं। उन्होंने बताया कि कई बार कॉल करने पर भी बिदुषी जवाब नहीं दे रही हैं। पिता ने भी उन्हें कई कॉल्स किए थे।
कई बार चलते-चलते बेहोश हो जाती थीं बिदुषी
केदार के अनुसार, बिदुषी डायबिटिक थीं और उन्हें ब्लड प्रेशर की भी दिक्कत थी। कई मौकों पर ऐसा हुआ था, जब वो चलते-चलते बेहोश हो जाती थीं। वो घर में भी कई बार ब्लड प्रेशर कम होने पर बेहोश हुई हैं। केदार के अनुसार, उनका साइकाइट्रिक ट्रीटमेंट भी चल रहा था। केदार के बयान को उनके कॉल रिकॉर्ड्स और बिदुषी की मेडिकल रिपोर्ट्स से कन्फर्म किया गया था।
सोसाइटी के कमेटी मेंबर राजू संधू ने पुलिस को बताया कि वो दोनों किसी से कोई बात नहीं करते थे, न ही सोसाइटी कि किसी एक्टिविटी में हिस्सा लेते थे। दोनों ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर या व्यस्त रहते थे।
मौत के दिन बिदुषी को 80 कॉल आए, उसी दिन मैसेज में कई मॉडलिंग प्रोजेक्ट मिले
जब मुंबई पुलिस ने बिदुषी के कॉल रिकॉर्ड की बारीकी से जांच की तो सामने आया कि उन्हें मौत के दिन 80 कॉल्स आए थे, जिनमें से ज्यादातर पति केदार और पिता के थे। पिता ने बिदुषी को कई मैसेज भी किए थे, जिसमें वो उन्हें लगातार कॉल्स उठाने को कह रहे थे। वहीं कई दिनों से काम की तलाश में चल रहीं बिदुषी को मैसेज के जरिए कई मॉडलिंग ऑफर मिले थे। कॉल रिकॉर्ड में एक एजेंट के भी कॉल मैसेज थे जो उनसे 25 हजार रुपए लौटाने को कह रहा था।
बिदुषी का ट्रीटमेंट करने वाले एक डॉक्टर भी उस रोज उनसे दोपहर में मिलने पहुंचे थे, हालांकि जब वो घर पहुंचे तो दरवाजा नहीं खुला। ऐसे में वो बिना बिदुषी से मिले ही लौट गए।
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, पड़ोस में काम करने वाली एक महिला ने पुलिस को बताया कि उसने बिदुषी के घर से एक शख्स को निकलते देखा था। हालांकि, CCTV फुटेज में इसके कोई सबूत नहीं मिले।
पहले हफ्ता बीता, फिर महीना और फिर साल, लेकिन बिदुषी की मौत का सही कारण सामने नहीं आ सका। पुलिस के पास पति केदार के खिलाफ भी कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। आखिरकार करीब एक साल बाद पुलिस ने इसे एक्सीडेंटल डेथ करार देते हुए केस क्लोज कर दिया। पुलिस ने केस क्लोज करते हुए रिपोर्ट में लिखा कि लाश की हालत देखकर पुलिस ने गलतफहमी में मर्डर केस दर्ज किया था। हालांकि ये एक एक्सीडेंट था। उस रोज बिदुषी ब्लड प्रेशर लो होने पर बेहोश होकर अलमारी से टकराकर गिरी होंगी, जिससे कांच टूटकर उनके शरीर पर लग गया होगा।
कई लोगों ने इस रिपोर्ट और एक्सीडेंटल डेथ के दावे का विरोध किया। बिदुषी के पिता शांतनु दास ने भी मर्डर की बात कही, लेकिन नतीजे शून्य रहे। फोरेंसिक एक्सपर्ट का भी कहना था कि सिर्फ कांच में गिरकर इतनी गंभीर चोट लगना असंभव है, हालांकि ये केस कभी री-ओपन नहीं किया गया। आज 12 साल बाद भी बिदुषी की मौत की गुत्थी अनसुलझी है।
फिल्मी सितारों से जुड़ीं ये अनसुनी दास्तानें भी पढ़िए-
पटना की मॉडल मोना, जिसे बेटी के सामने गोली मारी:बिल्डर से था अफेयर, 25 लाख के प्लॉट के लिए साजिश रची, मास्टरमाइंड अब भी फरार
12 अक्टूबर 2021 को मंदिर से लौट रहीं मोना राय पर गोलियां चलाई जाती हैं। वारदात के 5 दिन बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो जाती है। जीते-जी जब मोना से पूछताछ की गई, तो वो बस यही दोहराती रहीं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। हालांकि जब जांच हुई, तो रंजिशों, विवादों की लंबी फेहरिस्त सामने आई।
कहते हैं कि नाजायज रिश्तों का अंत हमेशा भयावह होता है। ये कहावत पटना की मॉडल मोना राय उर्फ अनीता देवी की हत्या की गुत्थी सुलझाने में अहम साबित हुई। 12 अक्टूबर 2021 को मंदिर से लौट रहीं मोना राय पर गोलियां चलाई जाती हैं। वारदात के 5 दिन बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो जाती है। जीते-जी जब मोना से पूछताछ की गई, तो वो बस यही दोहराती रहीं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। हालांकि जब जांच हुई, तो रंजिशों, विवादों की लंबी फेहरिस्त सामने आई।
आज अनसुनी दास्तान के 3 चैप्टर्स में पढ़िए पटना की मॉडल मोना राय के हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी-
पटना की मशहूर मॉडल मोना राय उर्फ अनीता देवी ने नवरात्रि का व्रत रखा था और वो रोज माता के दर्शन करने नजदीक के मंदिर जाया करती थीं। उस रोज भी वो अपनी 12 साल की बेटी आरोही को लेकर स्कूटी से मंदिर गई थीं। मोना राय दर्शन कर पटना के राजीव नगर की बसंत विहार कॉलोनी स्थित घर लौटीं।
उन्होंने बेटी को स्कूटी से उतारा, जो चैनल गेट से अंदर जाने लगी। मोना बेटी को भेजने के बाद गाड़ी लगाने वाली थीं, दरवाजा महज चंद कदमों की दूरी पर ही था कि अचानक 2 बाइकसवार उनके नजदीक आकर रुके।
मोना कुछ पूछ पातीं या समझ पातीं, उससे पहले ही बाइक पर पीछे बैठे शख्स ने उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। खून से लथपथ मोना वहीं गिर पड़ीं, जिन्हें देखते ही बेटी ने सिहरकर चीखना शुरू कर दिया। बच्ची की चीखें और गोलियों की आवाजें सुनकर आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए। हमलावर फायरिंग कर भाग निकले।
मोना दर्द से कराह रही थीं। उन्हें आनन-फानन में नजदीकी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया। अस्पताल वालों ने घटना की सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद केस फाइल कर मामले की जांच शुरू की गई।
हर किसी का सवाल था कि एक घरेलू महिला और मामूली मॉडल मोना राय की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी रही होगी, जो उन पर इस बर्बरता से हमला करवाया गया। हमले में गोलियां मोना के शरीर के निचले हिस्से पर लगी थीं, जिससे उनकी किडनी डैमेज हो चुकी थी। प्राइवेट हॉस्पिटल में सही इलाज न मिल पाने पर उन्हें IGIMS (इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) रेफर कर दिया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई।
मोना के होश में आते ही पटना पुलिस ने उनसे पूछताछ शुरू की। हालांकि मोना कराहती आवाज में बस यही कहती रहीं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, न ही उन्हें किसी पर शक है।
अस्पताल में पुलिस के साथ-साथ मोना राय से मिलने वालों की भीड़ थी। इसी बीच पुलिस की नजर एक ऐसे शख्स पर पड़ी जो मोना से मिलने के लिए उतावला था, हालांकि मोना का परिवार उसे देखकर ज्यादा खुश नहीं था। पुलिस ने पूछताछ की तो सामने आया कि उस शख्स का नाम राजू है, जो शहर का नामी बिल्डर है। बीते लंबे समय से राजू और मोना के बीच नाजायज संबंध थे।
राजू बिल्डर की हॉस्पिटल में मौजूदगी पुलिस के लिए मामले की अहम कड़ी साबित हुई। पुलिस ने जब हमला होने के अगले ही दिन राजू से पूछताछ की, तो पता चला कि उसका बीते 9 साल से मोना से संबंध था। दोनों की अक्सर मुलाकातें होती थीं और इस बात की खबर दोनों के परिवारवालों को भी थी। रिश्ता सभी को खटकता था, लेकिन दोनों परिवार से लगातार अनबन के बावजूद साथ थे।
राजू बिल्डर ने मोना से रिश्ते की बात तो कबूल कर ली, लेकिन उसके तार हत्या से जुड़ते नजर नहीं आए। पुलिस ने राजू बिल्डर के राजीव नगर के चंद्रकुटीर अपार्टमेंट में स्थित किराए के फ्लैट पर छापा भी मारा, जहां वो मोना के साथ वक्त बिताया करता था। घर में हत्या से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला, लेकिन शराब की बोतल मिलने से पुलिस ने उस पर शिकंजा कस दिया। दरअसल, बिहार में शराब बैन है, ऐसे में अवैध शराब की खरीदी करने और उसका सेवन करने पर पुलिस ने राजू बिल्डर के खिलाफ मामला दायर कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
वहीं दूसरी तरफ मोना की हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। आए दिन मोना से पूछताछ होती थी, लेकिन नतीजे शून्य ही रहे। मोना ने भी राजू बिल्डर से रिश्ता होने की बात कबूली थी, लेकिन उन्हें राजू पर शक नहीं था। 5 दिन बीते ही थे कि 17 अक्टूबर की सुबह जिंदगी और मौत के बीच लड़ते हुए मोना ने दम तोड़ दिया। गोलियां उनकी किडनी को छलनी कर चुकी थीं, जिससे पहले किडनी और फिर दूसरे अंगों ने काम करना धीरे-धीरे बंद कर दिया था। हमले का मामला अब हत्या के मामले में तब्दील हो चुका था।
पटना, बिहार की रहने वालीं मोना राय उर्फ अनीता देवी एक घरेलू महिला थीं। उन्होंने फोटो कॉपी की दुकान चलाने वाले सुमन कुमार से शादी की थी, जिससे उन्हें दो बच्चे आरोही और नैतिक हैं।
साल 2012 के आसपास मोना राय की मुलाकात फुलवारी शरीफ में रहते हुए पड़ोस में रहने वाले अमीर राजू बिल्डर से हुई थी। राजू शादीशुदा थे और उनका एक बेटा भी था। दोनों में मुलाकातें बढ़ने लगीं और समय के साथ दोनों का नाजायज रिश्ता पनपने लगा।
राजू बिल्डर से मिलने के बाद मोना का रहन-सहन बदलने लगा था। मिडिल क्लास मोना राजू से मिलकर खर्चीली हो गई थीं, बच्चों का दाखिला महंगे स्कूल में करवा दिया था और खुद भी मॉडलिंग करने लगी थीं। साल 2020 में उन्होंने मिसेज बिहार पेजेंट में भी हिस्सा लिया और टॉप-3 फाइनलिस्ट रहीं। इसके बाद से ही उन्हें कई मॉडलिंग प्रोजेक्ट मिलने लगे थे। मॉडलिंग वर्ल्ड से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना नाम अनीता देवी से बदलकर मोना राय कर लिया था।
मोना ने मिस ग्लोबल बिहार में भी हिस्सा लिया था, जिसमें उन्हें बेस्ट आई का टैग मिला था।
मोना और राजू की बढ़ती मुलाकातें ज्यादा दिनों तक उनके परिवारवालों से छिपी नहीं रहीं। दोनों के परिवार को उनके नाजायज रिश्ते से आपत्ति थी। यही वजह रही कि मोना के पति सुमन अपने परिवार के साथ फुलवारी शरीफ से राजीव नगर के बसंत विहार शिफ्ट हो गए थे, जहां मोना की हत्या की गई थी।
जिस तरह से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, उससे साफ था कि गोलियां चलाने वाले शूटर प्रोफेशनल थे, जिन्हें सुपारी दी गई थी, लेकिन सवाल था कि मामूली मॉडल की सुपारी कौन दे सकता था। क्या राजू बिल्डर ने मोना से पीछा छुड़ाने के लिए उनकी सुपारी दी थी? क्या मोना के नाजायज रिश्ते से परेशान होकर पति सुमन ने उनका कत्ल करवाया? या शूटर किसी और को गोली मारने आए थे, लेकिन धोखे में मोना पर फायरिंग कर दी?
इन सवालों के जवाब हासिल करने के लिए पटना पुलिस ने मोना के बॉयफ्रेंड राजू बिल्डर पर सख्ती की। ये भी सामने आया कि 4 महीने पहले राजू ने फुलवारी शरीफ इलाके में मोना के नाम पर प्लॉट खरीदा था। हर पैंतरे आजमाने के बावजूद जब राजू से कोई सटीक जवाब नहीं मिल सका, तो पुलिस ने राजू के परिवार की पड़ताल शुरू की। हफ्तेभर की मशक्कत के बाद राजू बिल्डर के परिवार के तार शूटर भीम यादव से जुड़ते दिखे। पुलिस ने ये संबंध स्थापित करने के लिए टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली, जिसमें मौका-ए-वारदात के नजदीकी CCTV फुटेज और मोबाइल टावर नेटवर्क की मदद ली गई।
मोना राय पर जब हमला हुआ, उसके कुछ हफ्तों पहले तक भीम यादव का मोबाइल नंबर उसी इलाके में एक्टिव था। आखिरकार 25 अक्टूबर को पुलिस ने भीम यादव को भोजपुर से गिरफ्तार कर लिया। शुरुआती पूछताछ में भीम यादव खुद को बेगुनाह बताता रहा, लेकिन सख्ती करने पर वो टूट गया।
भीम यादव ने पुलिस को दिए बयान में कबूल कर लिया कि उसे मोना राय को मारने की सुपारी दी गई थी। 5 लाख रुपए में उसने अपने साथियों शंकर कुमार और विश्वकर्मा के साथ सुपारी उठाई थी, एडवांस के तौर पर उन्हें पौने 2 लाख मिले थे। वो बीते 1 महीने से राजीव नगर में किराए के घर पर रह रहे थे और अपाचे बाइक से घूमते हुए मोना पर नजर रखे हुए थे। 12 अक्टूबर को मौका पाते ही दोनों ने वारदात को अंजाम दिया। शंकर बाइक चला रहा था, जबकि विश्वकर्मा नाम के शख्स ने मोना पर गोलियां चलाई थीं।
जब भीम से पूछा गया कि सुपारी देने वाला शख्स कौन था, तो भीम का बयान सुनकर हर कोई हैरान था। दरअसल, मोना राय के कत्ल की साजिश राजू बिल्डर नहीं, बल्कि उसकी पत्नी शारदा देवी ने रची थी। एक घरेलू दिखने वाली महिला इस हत्याकांड की मास्टरमाइंड थी।
शूटर भीम यादव के कबूलनामे के बाद पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए हत्याकांड सुलझाने का ऐलान किया। पुलिस ने खुलासा किया कि राजू बिल्डर बीते 9 साल से मोना राय के साथ रिलेशनशिप में थे। इस बात की खबर उनके परिवार को भी थी, जिससे आए दिन उनके घर में झगड़े हुआ करते थे।
राजू बिल्डर का नाबालिग बेटा भी पिता के अफेयर से नाराज था। कुछ महीने पहले जब राजू ने मोना के लिए 25 लाख रुपए का प्लॉट खरीदा, तो इसकी खबर भी उनकी पत्नी शारदा और बेटे को लग गई। उन्हें डर था कि राजू धीरे-धीरे अपना सब कुछ मोना के नाम कर देंगे और उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। मोना को राजू की जिंदगी से दूर करने के लिए शारदा देवी ने इस हत्याकांड की साजिश रची।
मोना को अपने रास्ते से हटाने के लिए शारदा देवी ने अपने भतीजे राहुल की मदद ली और उसे 5 लाख रुपए में प्रोफेशनल शूटर हायर करने का काम सौंपा। 3 लाख एडवांस के रूप में दिए गए, जबकि 2 लाख काम होने के बाद दिए जाने वाले थे। इस बात को 3 महीने बीत गए, लेकिन राहुल काम नहीं कर पाया।
गुस्से में आगबबूला हो चुकीं शारदा उस पर दबाव बनाने लगीं, तो राहुल ने उनकी मुलाकात सुदेश से करवाई, जो आरा का रहने वाला था। वो शारदा का दूर का रिश्तेदार लगता था। शारदा ने राहुल को दी हुई रकम सुदेश को दी। वो सुदेश ही था, जिसने अपने एक रिश्तेदार शंकर को सुपारी दी, जो एक शूटर था। शंकर ने एडवांस लेते ही अपने चचेरे भाई भोला और दूर के रिश्तेदार विश्वकर्मा को प्लान में शामिल कर लिया।
इस प्लान में राजू बिल्डर का नाबालिग बेटा भी शामिल था। उसने ही शूटर्स को मोना के घर का पता बताया और शक्ल दिखाई थी। एक महीने पहले ही शंकर, भीम और विश्वकर्मा ने राजीव नगर में रेकी करने के लिए घर किराए पर लिया था। महीना बीतने को था, लेकिन तीनों काम को अंजाम नहीं दे रहे थे, ऐसे में शारदा ने उन्हें धमकी दी कि अगर जल्दी काम नहीं हुआ तो वो एडवांस की रकम वापस करना होगा।
12 अक्टूबर को शंकर किसी काम से आरा गया हुआ था। इसी दौरान शारदा ने उसे खबर दी कि मोना नवरात्रि के मौके पर मंदिर जाने वाली है। लीड मिलते ही उसने अपने साथियों को काम पर लगा दिया। दोनों शूटर घात लगाए घर के बाहर बैठे थे, तभी मोना अपनी बेटी के साथ मंदिर से लौटीं। दोनों ने मौका पाते ही उन पर गोलियां बरसा दीं।
भीम की गिरफ्तारी के बाद मोना पर गोलियां चलाने वाले शूटर विश्वकर्मा ने सरेंडर कर दिया, जबकि मामले में नामजद 5 आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। सभी की तलाश के लिए पटना पुलिस ने कई जगह छापेमारी की, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
3 साल बाद भी मास्टरमाइंड की तलाश में पटना पुलिस
इस मामले में हमने पटना पुलिस से संपर्क किया। थाने में मौजूद कॉन्स्टेबल ने नाम बताए बिना सिर्फ इतनी जानकारी दी कि मोना राय हत्याकांड में अब तक मास्टरमाइंड शारदा देवी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। शारदा देवी और अन्य फरार आरोपियों की कुर्की (प्रॉपर्टी और सभी चीजें सरकारी कब्जे में) कर दी गई है। ये मामला अब भी कोर्ट में है।
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