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AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया

ByNews Editor

Nov 3, 2024 #AMERICA

AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया:चुनाव लड़ीं तो पूछा- न्यूक्लियर बटन दबा पाओगी; महिलाएं क्यों नहीं बन पाती अमेरिकी प्रेसिडेंट

AMERICA  महिलाओं को देश की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बिठाने वाले देशों की ये लिस्ट काफी लंबी है। पिछले 60 सालों में 60 से ज्यादा देशों ने महिला राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री चुनी हैं। हैरानी की बात सिर्फ इतनी है कि दुनिया का सबसे ताकतवर लोकतांत्रिक देश अमेरिका अब तक ऐसा नहीं कर पाया है।

AMERICA में 5 नवंबर को चुनाव है। अमेरिकी लोकतंत्र के 231 साल के इतिहास में दूसरी बार ऐसा हो रहा है, जब कोई महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है। सबसे पहले 2016 में हिलेरी क्लिंटन प्रेसिडेंट कैंडिडेट थीं, वहीं इस चुनाव में भारतवंशी कमला हैरिस हैं।

पर ऐसा क्यों है कि AMERICA के 23 दशक पुराने राजनीतिक इतिहास में कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बन पाई? स्टोरी में उन महिलाओं के किस्से जिन्हें प्रेसिडेंट बनने का सपना देखने पर कभी जेल में डाल दिया तो कभी पूछा गया न्यूक्लियर बटन दबा पाओगी …

AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया
AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया

किस्सा-1

राष्ट्रपति बनना चाहती थी, देश छोड़ने की नौबत आ गई

AMERICA की महिला नेता, विक्टोरिया क्लेफिन वुडहल ने सबसे पहले राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर अपना हक जताया था। वुडहल 1838 में ऐसे परिवार में जन्मी थीं जो शहर-शहर घूम कर जादुई दवा बेचने का दावा करता था। हालांकि, उन दवाओं में शराब के अलावा कुछ नहीं होता था।

वुडहल सिर्फ 34 साल की थी, जबकि AMERICA में चुनाव लड़ने की उम्र 35 साल है। वे चुनाव नहीं लड़ पाती फिर भी वुडहल से नफरत करने वाले नेताओं ने उन्हें गिरफ्तार करा दिया। उन पर अश्लीलता का प्रचार करने के आरोप लगे।

किस्सा-2

पति से विरासत में मिली राजनीति, रूस ने शैतान कहा

मार्ग्रेट चेस स्मिथ किसी बड़ी पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की घोषणा करने वाली पहली महिला थीं। मार्ग्रेट को राजनीति अपने पति क्लाइड स्मिथ से विरासत में मिली थी। क्लाइड रिपब्लिकन पार्टी के बड़े नेता थे। 1940 में उनकी मौत हो गई थी।

1964 में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम आगे किया। यह पहली बार था जब किसी रिपब्लिकन पार्टी की महिला नेता ने इस पद के लिए दावेदारी की।

मार्ग्रेट चेज स्मिथ ने एक भाषण में कहा-

AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया
AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया

कुछ लोगों को लगता है कि औरतों को व्हाइट हाउस तक पहुंचने की महत्वाकांक्षा नहीं रखनी चाहिए। ये मर्दों की दुनिया है। उसे वैसे ही रखा जाना चाहिए।

मार्ग्रेट ने जिस दिन अपनी उम्मीदवारी की चाहत जाहिर की वॉशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार ने उसी दिन उनकी कैंपेन को नॉन सीरियस घोषित कर दिया। मार्ग्रेट के पास उतना पैसा नहीं था कि वे दूसरे रिपब्लिकन प्रत्याशियों के साथ मुकाबला कर सके।

प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था-

महिलाएं भी इंसान हैं। उम्मीद है कि लोग मुझे वोट करेंगे।

हालांकि वह उम्मीदवारी का चुनाव हार गईं। मार्गरेट अपने वक्त की मशहूर लीडर थीं। वामपंथ की कड़ी आलोचना करने की वजह से उन्हें सोवियत संघ में खूब पहचाना जाता था। सोवियत संघ के सुप्रीम लीडर निकिता ख्रुश्चेव ने कहा था, “मार्ग्रेट महिला के रूप में एक शैतान है।”

किस्सा-3

अश्वेत होने से ज्यादा महिला होने की सजा मिली

शर्ली चिसहोम डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की रेस में शामिल होने वाली पहली महिला थीं। वे 1968 में न्यूयॉर्क से सांसद चुनी गईं। इस तरह वे यह उपलब्धि हासिल करने वाली देश की पहली अश्वेत महिला बनीं।

राष्ट्रपति दूर की कौड़ी, महिला उप-राष्ट्रपति बनने में लगे 227 साल

बात 1984 की है। महिलाओं के एक संगठन ने डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार मोंडेल को इस बात के लिए राजी किया कि वे एक महिला को उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाएं। मोंडेल ने बात मान ली और इस पद के लिए जेरी फेरारो को चुना गया।

सभी को लगा कि जल्द ही वो वक्त भी आने वाला है जब महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार भी चुनी जाएगी। पर इन उम्मीदों पर तब पानी फिर गया जब अमेरिका के लोगों ने मोंडेल की जगह रिपब्लिकन पार्टी के रोनाल्ड रीगन को जिता दिया।

अमेरिकी पत्रकार एलन मालकम के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान फेरारो से जिस तरह के सवाल किए गए वे यह साबित करने के लिए काफी था कि AMERICA औरतों को सत्ता देने के लिए तैयार नहीं था।

हीं, एक डिबेट के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार जॉर्ज बुश ने फेरारो पर तंज कसते हुए कहा था- मिस फेरारो क्या मैं आपको समझा दूं कि ईरान और लेबनान के दूतावास में क्या फर्क है।

बुश की इस बात पर फेरारो भड़क गईं उन्होंने आरोप लगाए कि उनसे यह बात इसलिए कही गई है क्योंकि वे एक महिला हैं।

इस चुनाव के बाद डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं के बीच महिलाओं को लेकर विश्वास घटा। AMERICA में महिला को उप-राष्ट्रपति बनने में 227 साल लगे। 2020 के चुनाव में भारतवंशी कमला हैरिस यह पद हासिल करने वाली पहली महिला बनीं।

AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया
AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया

AMERICA को अब तक क्यों नहीं मिली कोई मैडम प्रेसिडेंट?

अमेरिकी एक्सपर्ट्स के मुताबिक अब तक महिला राष्ट्रपति न बनने के पीछे 3 वजह हैं…

1. सामाजिक वजह: तलाकशुदा पत्नी को राजनीति से दूर रखने पति ने अखबार में छपवाया लेटर

अमेरिकी राजनीति की एक्सपर्ट आइरीन नतिविदाद के मुताबिक दुनिया के दूसरे देशों की तरह AMERICA में भी महिलाओं को कई बुनियादी अधिकार पुरुषों के मुकाबले बहुत बाद में मिले। जैसे आजादी से पहले अमेरिकी स्कूलों में लड़कों को पढ़ना-लिखना दोनों सिखाया जाता था, लेकिन लड़कियों को लिखना नहीं सिखाया जाता था।

इस कारण महिलाएं पढ़ तो सकती थीं, लेकिन लिख नहीं पाती थीं। महिलाएं दस्तखत के तौर पर अपने नाम की जगह “X” लिखा करती थीं। महिलाओं के पास प्रॉपर्टी के अधिकार भी नहीं थे। इन वजहों के चलते वे सामाजिक तौर पर पिछड़ने लगीं। उन्हें हर फील्ड में पुरुषों का मुकाबला करने में समय लगा।

सर्वे एजेंसी गैलप के मुताबिक 1937 में 64% लोगों का मानना था कि महिलाएं राष्ट्रपति पद के काबिल नहीं हैं। उनका कहना था कि राजनीति पुरुषों की दुनिया है और इसे ऐसे ही रखा जाना चाहिए। एजेंसी के अनुसार अब भी 5% से ज्यादा वोटर महिलाओं को लेकर यही सोच रखते हैं।

AMERICA में फिल्में बनने लगीं, जिनमें औरतों का काम घर संभालना, पति से प्यार करना और बच्चे पैदा करना दिखाया गया। 1950 का ये वो दौर था जब AMERICA में महिलाओं की आजादी फिर से छिन गई।

उस वक्त के साइकोलॉजिस्ट, सोसायटी की सभी बुराईयों का इल्जाम काम पर जाने वाली महिलाओं पर डालने लगे। इसका असर न सिर्फ कामकाजी महिलाओं की जिंदगी पर पड़ा बल्कि इससे AMERICA की चुनावी राजनीति में हिस्सा लेने वाली महिलाओं को झटका लगा।

1958 में कोया न्यूटसन नाम की सांसद ने उपचुनाव लड़ने की ठानी। विरोधियों ने न्यूटसन के एक्स हसबैंड एंड्रयू न्यूटसन को ढूंढ निकाला और उससे कैंपेन कराया।

एंड्रयू से एक लेटर लिखवाया गया जिसमें उन्होंने कोया से वापस उनके जिंदगी में और घर लौटने की अपील थी। अखबार में छपे इस लेटर में लिखा था कि पति का घर ही उनकी सही जगह है। इस तरह के प्रचार के चलते कोया हार गईं।

राजनीतिक वजह : औरतों को आजादी के 141 साल बाद मिले वोटिंग राइट्स

7 लोगों को AMERICA का फाउंडिंग फादर माना गया है। इनमें कोई भी महिला नहीं है। AMERICA में पहला राष्ट्रपति चुनाव 1789 में हुआ था लेकिन इसमें महिलाओं को वोट डालने का भी अधिकार नहीं था।

उन्हें यह अधिकार आजादी के करीब 141 साल बाद 18 अगस्त, 1920 में मिला।

अमेरिकी राजनीतिक मामलों के एक्सपर्ट डेबी वाल्स कहते हैं कि बाकी देशों में लोग पार्टी को वोट करते हैं और फिर पार्टी पीएम का चुनाव करती है। लेकिन AMERICA में ऐसा नहीं है। यहां वोटर सीधे प्रेसिडेंट के लिए वोट करते हैं, इसके चलते महिलाओं के लिए मुश्किल होती है।

AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया
AMERICA राष्ट्रपति बनना था, अश्लील कहकर जेल में डाल दिया

ऐसा इसलिए है क्योंकि AMERICA में लोगों का मानना है कि महिलाओं में युद्ध जैसे मुश्किल हालातों में नेतृत्व के लिए शारीरिक, मानसिक क्षमताएं नहीं हैं, जबकि पुरुषों में ये गुण वंशानुगत होते हैं।

डेबी वाल्स के मुताबिक भारत की इकलौती महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की लोकप्रियता का कारण उनका प्रभावी और आक्रामक व्यक्तित्व माना जाता था। 231 साल के चुनावी इतिहास में अमेरिका अभी भी संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए के लिए मजबूत प्रावधान तय नहीं कर पाया है।

पिछले 109 साल में अब तक हुए 54 सीनेट चुनावों में महिला सीनेटर्स की संख्या 20% से ऊपर नहीं पहुंची है। उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए किसी भी तरह के आरक्षण की व्यवस्था नहीं है।

आर्थिक वजह : अमेरिकी चुनाव मतलब बड़ा खर्चा

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ज्यादातर अरबपति ही लड़ पाए हैं। AMERICA में चुनाव लड़ना बहुत खर्चीला होता है। 1987 में पेट्रीसिया श्रोएडर ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटाई पर फंड्स इकठ्ठा न कर पाने के कारण वे प्राइमरीज से पहले ही बाहर हो गईं।

CNN में राजनीतिक मामलों की जानकार प्रो वाल्श का मानना है कि अमेरिकी चुनाव में उम्मीदवार का आर्थिक रूप से संपन्न होना एक जरूरी शर्त बनती जा रही है। महिलाएं यहां पिछड़ जाती हैं। इसके अलावा चुनाव जीतने के लिए पैसा जुटाना भी एक बड़ी चुनौती है।

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