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UP: इंडो-नेपाल बॉर्डर पर लकड़ी तस्करी का भंडाफोड़, लाखों की सागौन जब्त

ByNews Editor

Apr 17, 2025
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर लकड़ी तस्करी का भंडाफोड़, लाखों की सागौन जब्तश्रावस्ती: सोहेलवा वन क्षेत्र में फिर सक्रिय हुए लकड़ी तस्कर, SSB और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में लाखों की सागौन लकड़ी बरामद

UP (श्रावस्ती): सोहेलवा वन क्षेत्र में फिर सक्रिय हुए लकड़ी तस्कर, SSB और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में लाखों की सागौन लकड़ी बरामद

UP : इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में एक बार फिर लकड़ी तस्करों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। हाल ही में तस्करों द्वारा काटे गए कीमती जंगली सागौन (Tectona grandis) के 9 बड़े बोटा बरामद किए गए हैं, जिनकी अनुमानित कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है।

कैसे हुआ खुलासा?

इस तस्करी की सूचना सबसे पहले SSB के जवानों को मिली, जो नियमित गश्त पर थे। संदिग्ध गतिविधियों की भनक लगते ही जवानों ने इलाके में तलाशी अभियान चलाया। बॉर्डर पिलर संख्या 616 के समीप जंगल के भीतर लकड़ी के बोटा छिपाकर रखे गए थे। SSB ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद संयुक्त रूप से अभियान को अंजाम दिया गया।

तस्करों की चालबाज़ी

तस्कर जंगल की गहराई में कीमती पेड़ों को काटकर लकड़ी को अस्थायी रूप से छिपा देते हैं और मौका पाकर नेपाल सीमा के रास्ते बाहर भेजने की कोशिश करते हैं। यह इलाका अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण तस्करों के लिए एक मुफीद रास्ता बन गया है।

बरामद लकड़ी वन विभाग के कब्जे में

संयुक्त कार्रवाई के बाद लकड़ी को वन विभाग ने कब्जे में ले लिया है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस लकड़ी को सरकारी कब्जे में लेकर अब विधिक कार्यवाही की जा रही है। साथ ही यह भी बताया गया कि जल्द ही संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच तेज की जाएगी।

पिछले मामलों की पुनरावृत्ति

यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी सोहेलवा वन क्षेत्र में कई बार पेड़ों की अवैध कटाई और तस्करी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सीमावर्ती इलाका होने की वजह से यह क्षेत्र हमेशा से तस्करों की नज़र में रहा है।

SSB और वन विभाग की मुस्तैदी

SSB और वन विभाग की सतर्कता और समन्वय के कारण एक बार फिर बड़ी मात्रा में कीमती वन संपदा की तस्करी को रोका गया है। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में गश्त और निगरानी और अधिक तेज़ की जाएगी। साथ ही ड्रोन और कैमरों के ज़रिये निगरानी व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।”

समाज और प्रशासन की भूमिका

विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय ग्रामीणों को भी इस तस्करी के खिलाफ जागरूक करना बेहद ज़रूरी है। अगर गांव वाले समय पर सूचना दें, तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।