NEET फिजिक्स के विवादित सवाल पर कहा- एक्सपर्ट्स ने बताया कि चौथा ऑप्शन सही, दूसरा गलत
NEET NTA ने माना-हजारीबाग के स्कूल से पेपर चोरी हुआ, सॉल्वर्स अलग-अलग सेंटर से थे
NEET पेपर में CJI की बेंच के सामने आज (मंगलवार को) पांचवीं सुनवाई हो रही है। CJI ने पूछा- NEET का पेपर लीक होकर लोगों तक कैसे पहुंचा। इस पर सॉलिस्टर जनरल ने कहा- झारखंड के हजारीबाग के ओएसिस स्कूल का इस्तेमाल पेपर चोरी करने के लिए किया गया है। सॉल्वर्स अलग-अलग सेंटर्स से थे।
इससे पहले CJI ने कहा- NTA की आंसर-की सही है। एक्सपर्ट टीम से हमने जांच कराई थी। उन्होंने बताया कि ऑप्शन 4 सही है, 2 गलत है। क्योंकि रेडियो एक्टिव एटम स्टेबल नहीं होते है।
याचिककर्ताओं की ओर से वकील- नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े, मैथ्यूज नेदुम्परा बहस कर रहे हैं, जबकि NTA की ओर से सोलिस्टर जनरल तुषार मेहता हैं।
अपडेट्स
अब लंच के बाद सुनवाई होगी
NEET केस पर सुनवाई लंच तक के लिए रोक दी गई है। लंच ब्रेक के बाद 2 बजे से दोबारा सुनवाई शुरू होगी।
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CJI: पहले हम ये मान रहे थे कि सॉल्वर्स के पास पेपर सॉल्व करने के लिए 45 मिनट का समय था। लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि सॉल्वर्स के पास पेपर सुबह 8:30 बजे से मौजूद था।
NTA: सॉल्वर्स के बयान के मुताबिक पेपर उन तक 9:24 पर पहुंचा।
CJI: लेकिन, फिलहाल हमारे पास मुख्य आरोपी का फोन नहीं है, जिससे ये बात साबित हो सके।
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CJI: कंट्रोल रूम में जहां पेपर थे वहां ये लोग करीब डेढ़ घंटे तक मौजूद थे ?
जस्टिस पारदीवाला: कंट्रोल रूम की सिक्योरिटी कौन देखता है?
CJI: आप ये कैसे साबित करेंगे कि ये पेपर्स किसी और को व्हाट्सएप से नहीं भेजे गए थे? सॉल्वर्स फिलहाल हिरासत में हैं लेकिन सवाल ये है कि पेपर लीक होकर और लोगों तक पहुंचा कैसे?
NTA: आप अधजले क्वेश्चन पेपर में टिक मार्क्स के निशान देखें? ये ओएसिस स्कूल में उस लड़की के क्वेश्चन पेपर से अलग हैं, जिसने शिकायत की थी।
जस्टिस पारदीवाला: सॉल्वर कंट्रोल रूम के अंदर करीब 1 घंटे 20 मिनट तक था। वो पेपर लेकर अपने साथियों को भेजता है और फिर वो मिलकर पेपर सॉल्व करते हैं।
NTA: इसे दोबारा स्कैन किया।
CJI: इस स्कैन की गई कॉपी को हजारीबाग और पटना भेजी गई क्या? लेकिन, हम ये कैसे कह सकते हैं कि ये पेपर किसी और को नहीं भेजे गए? फिलहाल हमारे पास कोई फॉरेंसिक डेटा नहीं है नहीं तो हमें डिजिटल फुटप्रिंट देखने को मिलते।
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CJI: अब हम ये जानते हैं कि हजारीबाग से पेपर लीक हुआ। कब हुआ ये अभी स्पष्ट नहीं है। लीक हजारीबाग से हुआ और व्हाट्सएप पर मैसेज पटना में भेजा गया था। फॉरेंसिक डेटा से ये भी पता चल जाएगा कि मैसेज कहां तक भेजे गए?
कंट्रोल रूम का लॉक किसकी कस्टडी में होता है?
NTA: दो दरवाजे होते हैं। एक दरवाजे को सबके सामने लॉक किया जाता है। चाबी सेंटर सुपरिटेंडेंट को दे दी जाती है। पीछे वाला दरवाजा खुला रखा जाता है। 7:53 मिनट पर मुख्य दरवाजा बंद किया गया और 8:02 बजे पीछे वाले दरवाजे से एक व्यक्ति अंदर गया। ये 9:23 मिनट पर कमरे से बाहर आए।
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SG: बिहार पुलिस ने कुछ स्टेटमेंट्स रिकॉर्ड कीं। इसके बाद केस EOU को सौंप दिया गया।
CJI: कल हमने अनुराग यादव की स्टेटमेंट पढ़ी थी। क्या कोई मोबाइल फोन पकड़ा गया?
NTA के वकील: इसका फॉरेंसिक टेस्ट किया जाना बाकी है। इससे पता चलेगा कि ये मोबाइल पटना में गया भी था या नहीं?
CJI: कल मैंने कहीं पढ़ा था कि मोबाइल फोन नदी से निकाला गया था।
SG: जी हां, मोबाइल पानी से बरामद किया गया।
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CJI: इसका मतलब आपके पास ये साबित करने के लिए कुछ नहीं है कि ये साजिश बिहार और झारखंड के बाहर भी रची गई?
NTA: जी नहीं
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SG: जांच के बाद जले हुए क्वेश्चन पेपर मिले। हमारे पास ओएसिस स्कूल का CCTV फूटेज है। सुबह 8:02 बजे एक आदमी ट्रक के साथ अंदर आता है। वो ये पेपर सॉल्वर्स को देता है- वहां 8 सॉल्वर्स थे। हर सॉल्वर को 25 सवाल दिए गए थे। ये मोबाइल लेकर नहीं चलते ताकि पेपर किसी भी ऐसे व्यक्ति के हाथ न लगे जिसने पैसे न दिए हों। इन्होंने सवाल-जवाब याद किया और क्वेश्चन पेपर जला दिया। इसके बाद एक लड़की ने पेपर के साथ छेड़छाड़ करने की शिकायत की।
जस्टिस पारदीवाला: इनविजलेटर कहां थे?
CJI: अगर आप किसी भी जले हुए प्लास्टिक को दोबारा सील करेंगे तो उसपर निशान होंगे। ये योजना उन्होंने महिनों पहले बनाई होगी। फिर ऐसा सिर्फ एक सेंटर पर एक छोटी सी जगह पर ही क्यों हुआ? ह्युमन नेचर हमेशा ऐसा होता है, जो ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहता है?
SG: वो ऐसे लोगों तक नहीं पहुंचना चाहते थे, जो इसके पैसे न दे सकें।
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CJI: हजारीबाग में 33 में से सिर्फ 1 ने 622 स्कोर किया है। सक्सेस रेट- 3%। पटना में 637 में से सिर्फ 35 ने 577 से ज्यादा स्कोर किया।
हुड्डा: इन्होंने 56000 सीटों के हिसाब से रेफरेंस पॉइंट तैयार किया है। अगर किसी के मार्क्स 622 हैं भी, तो भी इससे कुछ साबित नहीं होता है।
SG: हमने 56000 को रेफरेंस पॉइंट लिया क्योंकि पूरी दलील इस पर ही आधारित थी।
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CJI: क्या सेंटर बदलने के बाद 33 स्टूडेंट्स हजारीबाग, 37 पटना और 24 गोधरा आए थे?
SG: गोधरा से किसी भी कैंडिडेट को एडमिशन नहीं मिल रहा है। सीकर का सक्सेस रेट – 19.22% है और पिछले साल ये 19.19% था। 2022 में 24% था। हर साल इसमें गिरावट ही हुई है।
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CJI: केनरा बैंक के क्वेश्चन पेपर बांटने की परमिशन सिटी कोऑर्डीनेटर को किसने दी?
SG: ये ह्यूमन एरर था। हम 24 लाख कैंडिडेट्स के लिए एक साथ परीक्षा करा रहे हैं। अथॉरिटी देने के लिए परमिशन लेटर डिजिटली आता है, इसे प्रिंट करने के बाद बैंक को वापस भेजना होता है। ये पूरी प्रोसेस CCTV में रिकॉर्ड होती है।
इस प्रोसेस में बैंक और सेंटर दोनों जगहों से कुछ गलतियां हुईं। दोनों बैंक्स को ये जानकारी देनी चाहिए थी कि किसे पेपर रिलीज करना है और इसे रिलीज नहीं करना है। मैं कोर्ट से कुछ नहीं छुपाऊंगा, यहां हमसे गलती हुई।
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CJI: कितने कैंडिडेट्स को केनरा बैंक के पेपर कितने कैंडिडेट्स को मिले?
SG: इनमें दो कैटेगरीज हैं। कुछ सेंटर्स ने इसी क्वेश्चन पेपर से एग्जाम कंडक्ट किया गया, जबकि कुछ सेंटर्स ने पेपर बदला और फिर दोबारा SBI के क्वेश्चन पेपर लेकर आए। दोनों पेपर्स का डिफिकल्टी लेवल बराबर है।
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CJI: हम ग्रेस मार्क्स वाले 1563 कैंडिडेट्स का सक्सेस रेट देखना चाहते हैं।
SG: ये हमने कल तैयार किया था। 1563 में से 816 ने रीएग्जाम दिया। इन कैंडिडेट्स ने अब भी काफी अच्छा स्कोर किया है, जबकि इनके ग्रेस मार्क्स माइनस कर दिए गए थे। हम किसी कैंडिडेट को रीएग्जाम देने को फोर्स तो नहीं कर सकते।
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SG: कोटा में लाल बहादुर शास्त्री सेंटर में- 476 कैंडिडेट्स ने एग्जाम दिया था। इनमें से 56000 रैंक लाने वालों में 28 हैं। इसमें रिजर्व्ड कैटेगरी की गिनती नहीं है। ये ट्रेंड पिछले कई सालों से ऐसा ही रहा है।
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SG: गोधरा से किसी भी कैंडिडेट को एडमिशन नहीं मिल रहा है। सीकर का सक्सेस रेट- 19.22% है और पिछले साल ये 19.19% था। 2022 में 24% था। हर साल इसमें गिरावट ही हुई है।
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CJI: क्या सिटी सेंटर बदलने के लिए किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होती?
SG: नहीं, ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। हम ये चेक नहीं करते कि किसी कैंडिडेट ने सेंटर सेंटर करने की रिक्वेस्ट क्यों की है?
जस्टिस पारदीवाला: ये रिक्वेस्ट आप तक कब तक आती हैं?
CJI: आप डोमिसाइल भी नहीं मांगते?
SG: नहीं, अगर आप कोटा में पढ़ाई कर रहा हूं और वहां सेंटर चाहता हूं तो ऐसे डोमिसाइल नहीं मांगा जाता। सेंटर बदलने से कुछ भी साबित नहीं होता। सेंटर बदलने वाले 14,000 स्टूडेंट्स में सक्सेस रेट सिर्फ 6% है।
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SG: दोबारा रजिस्ट्रेशन विंडो खोलने के बारे में मैं ये कहना चाहूंगा कि हमें उन छात्रों से एप्लिकेशन मिले थे जो किसी वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए थे। 24 लाख कैंडिडेट्स में से 14,000 लोगों ने सेंटर बदलने की रिक्वेस्ट की थी। ये स्टूडेंट्स 4020 सेंटर्स में फैले हुए हैं। अगर किसी खास सेंटर से मदद मिल रही होती तो ये सभी कैंडिडेट्स वहां होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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SG: बिहार, पटना में इस साल सक्सेस रेट – 5.53% है। लेकिन ये पिछले कई सालों से ऐसा ही रहा है। हर साल कुछ 2 से 3% बदलाव होता है।
हजारीबाग में इस साला सक्सेस रेट – 4.61% है। ये कहा जा रहा था कि एक कैंडिडेट एग्जाम देने बेलागावी गया था क्योंकि कथित तौर पर यहां मॉस चीटिंग की संभावना थी। यहां सक्सेस रेट – 2.5% है।
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हुड्डा: NEET के जरिए 5 अलग-अलग कोर्सेज में एडमिशन होते है। इनकी सीटों की कुल संख्या लगभग 3 लाख है। इनमें एडमिशन के लिए 12 लाख कैंडिडेट क्वालिफाई होते हैं।
CJI: क्या सभी कोर्सेज के लिए कट ऑफ 50 परसेंटाइल है?
SG: जी हां
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SG: बिहार, पटना और बेलगावी में सक्सेस रेट देखें। सक्सेस रेट पिछले सालों जैसा ही है। ऐसी धारणा बनाई गई जैसे कोई छात्र बेलगावी गया हो इसका मतलब कि वो भ्रष्ट। अब सक्सेस रेट देखें- बिहार (पटना).- 49.22%, झारखंड हजारीबाग- 47.28% है।
CJI: इसमें सरकारी कॉलेज में 56000 और प्राइवेट कॉलेज 52000 सीटें शामिल हैं।
SG: आपको पैन इंडिया एग्जाम की बात जस्टिफाई करने के लिए मैंने फिलहाल रिजर्व्ड सीटों की संख्या कम नहीं की।
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SG: राजस्थान में कोटा, गुजरात में राजकोट, तमिलनाडु में नम्माकल- इन जगहों पर पूरी अर्थव्यवस्था छात्रों पर केंद्रित है। हर दिन मॉक क्वेश्चन पेपर दिए जाते हैं, जब बच्चा वास्तविक परीक्षा में बैठता है तो वास्तव में यह उनकी 200वीं परीक्षा होती है।
चाहे मैं UPSC या NEET की तैयारी कर रहा हूं, मैं वहीं रहूंगा और तैयारी करूंगा। ऐसा कई सालों से हो रहा है, लेकिन अभी भी पिछले साल से कोई चिंताजनक ट्रेंड नहीं देखा गया है। मैं यह कहना चाहता था कि सीकर, कोटा का उदाहरण दूसरे पक्ष को सही निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद नहीं कर सकता है। ये देश के कोचिंग हब के स्टूडेंट्स हैं।
जैसी पढ़ाई मुझे गुजरात के जामनगर में मिलेगी, उससे अच्छी पढ़ाई कोटा या सीकर में मिलेगी।
SG ने सिटी वाइज सक्सेस रेट की टेबल CJI को सौंपी।
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SG: यह बताने के लिए जरूरी सबूत है कि सिर्फ कट ऑफ से ज्यादा स्कोर करने का यह मतलब नहीं है कि आपको एडमिशन मिल जाएगा।
CJI: वे कट-ऑफ से ठीक ऊपर हैं।
SG: मैं कुछ कहना चाहता हूं- कोटा, राजकोट जैसे कई सेंटर्स हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं के केंद्र हैं। अखबारों में जिस शब्द का प्रयोग किया जा रहा है- ‘फैक्ट्री’, यह शायद वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री’ से लिया गया है।
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SG: ये रेश्यो सिटीवाइज सबसे ज्यादा से सबसे कम के क्रम में बनाया गया है।
CJI: कितने शहर हैं ?
SG: 569- इसके अलावा दुबई, मस्कट, सिंगापुर जैसे कुछ अन्य देशों में भी हमारे सेंटर हैं
CJI: दोहा, कुवैत?
SG: हम उन्हें शहरों की तरह ट्रीट करते हैं, क्योंकि वहां एक ही सेंटर होता है। सबसे कम क्वालिफिकेशन रेश्यो- 8.6% छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में है।
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SG: 12.5 लाख क्वालिफाइड हैं, सीटें केवल 1 लाख 8 हजार हैं। सालों पहले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा की कुछ सीटें होती थीं। उन पर ऐसे लोग भी एडमिशन लेते थे, जिन्होंने एग्जाम क्वालिफाई नहीं किया हो। वो सिर्फ 50 मार्क्स या 70 मार्क्स लाते थे इसलिए यह परसेंटाइल का सिस्टम लाया गया। गुजरात-भावनगर में कुल 5800 लोगों ने एग्जाम दिया। 164 से से ज्यादा स्कोर करने वाले 4660 है। ऐसे में पासिंग परसेंटेज 80.34% है।
SG ने सिटीवाइज क्वालिफिकेशन रेशियो भी कोर्ट में जमा किया।
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CJI: क्या कट ऑफ हमेशा 50% परसेंटाइल होता है ?
SG: जी हां, पिछले साल 137 था- जो ये बताता है-
- इस साल छात्रों की संख्या बढ़ी है।
- छात्र अधिक मेहनती थे।
- सिलेबस कम होने की वजह से भी स्कोर ज्यादा रहा।
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SG: परसेंटाइल का भी कॉन्सेप्ट है। जो गलत नैरेटिव चल रहा है उससे युवा छात्र बेवजह तनाव में आ रहे हैं।
अगर राजकोट जैसे सेंटर्स के लिए 30 से ज्यादा उम्मीदवार हैं तो धारणा यह रहती है कि यदि आप कट ऑफ से ज्यदा स्कोर करते हैं या क्वालिफाइड हैं, तो आपको अपनी पसंद के कोर्स में एडमिशन मिल जाएगा।
परसेंटाइल वह आंकड़ा है जो हमें रिजल्ट आने के बाद मिलता है। कंप्यूटर सिस्टम में रिजल्ट फीड किया जाता है और हम कमांड करते हैं कि हम 50% परसेंटाइल चाहते हैं। ऐसे हमनें 164 का आंकड़ा दिया।
24 लाख छात्रों में से 12.5 लाख 164 स्कोर से नीचे होंगे – इन्होंने एग्जाम क्वालिफाई नहीं किया और 12.5 लाख ने 164 से ज्यादा स्कोर किया। ये काउंसलिंग एडमिशन प्रोसेस में शामिल हो सकते हैं।
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SG: सबसे बड़ा टेस्ट तो यही है कि अगर मेरे पास पेपर है, तो बड़ी संख्या में लोग परीक्षा में टॉप करेंगे।
CJI: क्या हमारे पास हजारीबाग से आने वाले कोई स्टूडेंट है?
SG: मैं आपको सब कुछ दिखाऊंगा। हमने यह देखने के लिए एक एक्सरसाइज है कि 2022, 2023, 2024 में उन सेंटर्स की स्थिति क्या है।
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SG: हमें आपके विवेक को आंकड़ों से संतुष्ट करना चाहिए, किसी सोशल मीडिया या टेलीग्राम वीडियो के माध्यम से नहीं। टॉप 100 छात्र 95 सेंटर्स, 56 शहरों और 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।
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SG: आप एक ऐसे मुद्दे की जांच कर रहे हैं जिसमें लगभग 24 लाख छात्र शामिल हैं। कुल सेंटर 4750 हैं। एक नेशनल लेवल एग्जाम की जांच के लिए ये आंकड़ा सही होगा।
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हुड्डा: वे कह रहे हैं कि हम परीक्षा की लाइव मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सवाई माधौपुर में उनका सिस्टम काम नहीं कर रहा है, वे कहते हैं कि सोशल मीडिया से हमें ढाई घंटे की परीक्षा के बाद पता चला कि यह क्या हुआ है। उनका तर्क पूरी तरह से बेकार है कि उनके पास CCTV मॉनिटरिंग है।
SG: हमने 2-5 सेंटर्स को लेकर आशंका जताई है। यदि शक सच भी है तो यह उस सेंटर के लिए होगा। मैं उस पर अलग से बात करूंगा।
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CJI: सवाई माधौपुर में कितने स्टूडेंट्स थे?
हुड्डा: 120, गाजियाबाद के लिए वो मना कर रहे हैं
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हुड्डा: फिर उन्होंने फैसला लिया कि उसी दिन शाम 6-9 बजे तक एक और परीक्षा होगी।
CJI: तो आप क्या कह रहे हैं कि उन्होंने एक ही क्वेश्चन पेपर रखा लेकिन मीडियम अलग-अलग था।
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SG: (गाजियाबाद के लिए) कोई दलील नहीं है।
CJI: इसका पता कब चला?
हुड्डा: सवाई माधौपुर में ढाई बजे सोशल मीडिया पर पता चला। यह रिकॉर्ड पर उनका हलफनामा है। दोपहर 2 बजे परीक्षा शुरू हुई, क्वेश्चन पेपर दिए गए और छात्रों ने शिकायत की कि यह मेरा मीडियम नहीं है। NTA को उसी दिन 4:30 बजे पता चला।
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CJI: शुरू में केनरा बैंक का गलत पेपर दिया।
हुड्डा: दो सेंटर्स- सवाई माधौपुर और गाजियाबाद सेंटर्स पर क्वेश्चन पेपर अलग-अलग मीडियम ऑफ लैंग्वेज में दिया गया था।
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हुड्डा: एक ही क्वेश्चन पेपर सॉल्व करने से एग्जाम की शुचिता फिर खत्म हो गई है। क्योंकि किसी को एक बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, इन लोगों को एक ही दिन में 3 घंटे 20 मिनट दो बार मिल रहे हैं, जबकि क्वेश्चन नहीं बदले।
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याचिकाकर्ताओं के वकील नरेंद्र हुड्डा: यहां उन्हें क्वेश्चन पेपर 20 मिनट देर से मिला। वे उस क्वेश्चन पेपर को पहले 3 घंटे और फिर अगले 3 घंटे तक तक अपने पास ही रखे रहे, ऐसे में ये 6 घंटे तक पेपर उनके पास था।
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CJI: जैसा कि मिस्टर हुड्डा ने कहा कि एग्जाम में सिस्टम के लेवल पर कुछ गड़बड़ियां हैं और पूरी परीक्षा फिर से करनी होगी
जिन उम्मीदवारों की कुछ व्यक्तिगत शिकायतें हो सकती हैं, हम उन्हें हाईकोर्ट में जाने के लिए छोड़ सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि इस अदालत का अधिकार व्यक्तिगत शिकायतों पर गौर करना शुरू करना है। हम उन मामलों को अलग कर देंगे।
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याचिकाकर्ता के वकील: एग्जाम में रैंकिंग कम होने की शिकायत की।
SG: इस बात की जांच की जा रही है कि क्या देश भर में कोई लीक हुआ था या क्या चोरी की कोई घटना हुई है या नहीं ?
वह सवाल, जिसकी जांच कराई गई