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Manish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेल

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Aug 9, 2024 #Manish
Manish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेलManish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेल

Manish सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जमानत नियम और जेल अपवाद; आज तिहाड़ से बाहर आ सकते हैं

Manish दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त) को जमानत दे दी। सिसोदिया 17 महीने से तिहाड़ जेल में बंद हैं। सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े CBI और ED, दोनों केस में राहत मिली है।

 

Manish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेल
Manish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेल

CBI ने भ्रष्टाचार केस में सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। ED ने 9 मार्च, 2023 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा- केस में अब तक 400 से ज्यादा गवाह और हजारों दस्तावेज पेश किए जा चुके हैं। आने वाले दिनों में केस खत्म होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। ऐसे में सिसोदिया को हिरासत में रखना उनके स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

सिसोदिया आज शाम तक जेल से बाहर आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की ऑर्डर कॉपी राउज रेवेन्यू कोर्ट भेजी जाएगी। वहां सिसोदिया को 10-10 लाख का बेल बॉन्ड भरना होगा। फिर रिलीज ऑर्डर तिहाड़ जेल भेजा जाएगा। इसके बाद सिसोदिया बाहर आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाया है। बेंच ने तीन दिन पहले 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था। सिसोदिया ने जमानत पर दोबारा विचार करने की याचिका लगाई थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाने से पहले जमानत को लेकर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बताया। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को वापस ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट भेजना सांप-सीढ़ी के खेल में डालने जैसा होगा। एक नागरिक को इधर-उधर भटकने के लिए नहीं मजबूर किया जा सकता है।

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बेंच ने कहा, “मामले की तुरंत सुनवाई लोगों का अधिकार है। यह कहकर जमानत का विरोध नहीं किया जा सकता कि अपराध गंभीर है। स्वतंत्रता के लिहाज से हर दिन मायने रखता है। CBI मामले में 13 और ED मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं। ये सभी अर्जियां निचली अदालत ने मंजूर की थी।

 

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निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था की मनीष की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई, वो सही नहीं है। हम नहीं मानते कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई। इस मामले में ED ने भी 8 चार्जशीट दाखिल किए। ऐसे में जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी है तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ। हाई कोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया।”

सुप्रीम कोर्ट ने ASG की अपील नहीं मानी
ED-CBI का पक्ष रख रहे ए़डिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (ASG) ने कोर्ट में सिसोदिया पर जमानत के दौरान कुछ पाबंदी लगाने की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सिसोदिया पर अरविंद केजरीवाल केस की तरह शर्तें लगाई जाएं।

ASG ने सिसोदिया को मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय में एंट्री पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिजेक्ट कर दिया। बेंच ने कहा कि स्वतंत्रता का मामला हर दिन मायने रखता है, इसलिए हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे सिसोदिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 मई, 2024 को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सिसोदिया ने अपनी याचिका में कहा था कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है।

दिल्ली हाईकोर्ट से पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को उन्हें जमानत नहीं दी थी। ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत याचिका इससे पहले भी कई बार खारिज हो चुकी थीं।

Manish सिसोदिया को 17 महीने बाद CBI-ED केस में बेल
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