kolkata ये मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा के उपाए बताएंगे; RG कर अस्पताल में CISF लगेगी
kolkata रेप-मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। CJI ने कहा- डॉक्टर्स की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए टास्क फोर्स बना रहे हैं, इसमें 9 डॉक्टर्स को शामिल किया गया है, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगा।
टास्क फोर्स में केंद्र सरकार के पांच अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। कोर्ट ने CBI से 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट और राज्य सरकार से घटना की रिपोर्ट मांगी है। RG कर अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा CISF को दिया गया। केस की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
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CJI: 15 अगस्त की रात को जब आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं, तो भीड़ ने पुरुष और महिला डॉक्टरों पर हमला किया। पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के संगठन (प्रोटेक्ट द वॉरियर्स) की ओर से पेश अपराजिता सिंह ने एक वरिष्ठ रेजिडेंट द्वारा घटना का विवरण देते हुए एक ईमेल रिकॉर्ड पर रखा है।
अस्पताल में 700 रेजिडेंट डॉक्टर हैं। ज्यादातर रेजिडेंट अपनी ड्यूटी छोड़ चुके हैं और अब 30-40 महिला और 60 पुरुष डॉक्टर रह गए हैं। डॉक्टरों के लिए अपनी ड्यूटी करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाए रखना जरूरी है। इसलिए हमें एसजी मेहता ने आश्वासन दिया है कि सुरक्षा में सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी।
सिब्बल: इसमें कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि इसका उद्देश्य जगह की सुरक्षा करना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने महिला डॉक्टरों की शिकायत पढ़ी, जिन्हें रेप की धमकी दी गई थी।
CJI: यह बहुत गंभीर मामला है, मिस्टर सिब्बल
महिला डॉक्टरों को उनके नाम से बुलाया गया और धमकी दी गई कि उनका भी वही हाल होगा, जो मृतक का हुआ था। पुलिस कैसे भाग गई? यह कोई सामान्य शिकायत नहीं है। पुलिस क्या कर रही है?
जस्टिस पारदीवाला: हमने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है, क्योंकि वंचित तबके के लोग परेशान हैं। अब अगर हम पुलिस से इन महिला डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए कहें तो क्या यह पुलिस डॉक्टरों की सुरक्षा करेगी? कौन सी पुलिस अस्पताल की सुरक्षा करेगी?
CJI: CISF को RG कर मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा की जिम्मेदारी दें।
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CJI: चूंकि यह कोर्ट सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है, इसलिए हम देशभर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे काम पर लौट आएं, क्योंकि इससे मरीजों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं मिलने में दिक्कत आ रही है।
वकील: मैं अस्पताल की महिला डॉक्टरों की ओर से पेश हुआ हूं। जब भीड़ अंदर आई तो कुछ लोग महिला छात्रावास में घुस आए और ऐसे शब्दों से धमकाया जो यहां नहीं कहे जा सकते। राज्य पुलिस मौके से भाग गई। माता-पिता महिला डॉक्टरों को नहीं भेज रहे हैं, क्योंकि वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि कुछ पुलिसकर्मी महिला चेंजिंग रूम के अंदर घुस गए थे। कृपया सीलबंद लिफाफा देखें कि वहां डॉक्टरों की क्या स्थिति है।
जस्टिस पारदीवाला: हॉस्टल कहां है?
एडवोकेट: यह कैंपस में ही है। तब 90 प्रतिशत महिला डॉक्टर वहां थीं।
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सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह: आईएमए और अन्य ने कुछ सुझाव दिए थे। उसके बाद एक कानून बनाया गया था। आईएमए को इस एनटीएफ का हिस्सा बनाया जा सकता है।
CJI: हमने कहा है कि सभी स्टेक होल्डर से सुझाव लिए जाएंगे। आप स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को लिख सकते हैं। आईएमए से भी परामर्श किया जाएगा।
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सिब्बल: मुख्य आरोपी सिविक वर्कर था, उसका ब्लूटूथ मौके पर मिला था, इसलिए हमने उसे मोबाइल से कनेक्ट किया। सीसीटीवी भी वहीं था, इसलिए हमने उसे कनेक्ट किया, हम उसके पास गए।
23 अगस्त को अगली सुनवाई
केस की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
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CJI: क्या प्रिंसिपल छुट्टी पर हैं या सस्पेंड हैं?
सिब्बल: एसआईटी का गठन भी हो चुका है और वे हाईकोर्ट के निर्देशानुसार छुट्टी पर हैं।
SG: राज्य द्वारा साझा की गई हर जानकारी सीबीआई को दी जानी चाहिए।
सिब्बल: सोशल मीडिया पर जो कुछ भी है, वह सही नहीं है।
CJI: लेकिन एफआईआर दर्ज करने में बेवजह देरी हो रही है। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तोड़फोड़ करने वालों को पकड़ा जाए।
सिब्बल: 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 50 एफआईआर दर्ज की गई हैं
SG: ये 50 एफआईआर? यह जांच न करने की तैयारी है।
सीजेआई: हमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाओ।
सिब्बल: सब कुछ सीबीआई को सौंप दिया गया है, यहां तक कि केस डायरी भी सीबीआई के पास है।
सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार से 8 सवाल
- अस्पतालों की सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं।
- क्या प्रवेश द्वार पर चेकिंग की सुविधा है।
- रेस्ट हाउस की संख्या कितनी है।
- ऐसे कमरों में क्या सुविधाएं दी जा रही हैं।
- क्या अस्पताल के सभी क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
- मरीजों की समस्या के समाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है या नहीं?
- क्या अस्पतालों के बाहर पुलिस चौकी है।
- क्या समस्याओं के समाधान के लिए इंटरनल कमेटियां हैं?
कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर हलफनामे के साथ यह जानकारी देने को कहा है।
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CJI: नेशनल टास्क फोर्स तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट दे। 2 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट दे।
टास्क फोर्स में ये 5 सदस्य भी
- भारत सरकार के कैबिनेट सचिव
- भारत सरकार के गृह सचिव
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव
- नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष
- नेशनल बोर्ड ऑफ इग्जामिनर्स के अध्यक्ष
नेशनल टॉस्क फोर्स में ये डॉक्टर
- आरके सरियन, सर्जन वाइस एडमिरल
- डॉ. नागेश्वर रेड्डी, मैनेजिंग डायरेक्टर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी
- डॉ. एम. श्रीनिवास, डायरेक्टर AIIMS, दिल्ली
- डॉ. प्रतिमा मूर्ति, NIMHANS, बेंगलुरू
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, डायरेक्टर, AIIMS, जोधपुर
- डॉ. सौमित्र रावत, गंगाराम अस्पताल के मैनेजिंग मेंबर
- प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कार्डियोलॉजी हेड, AIIMS, दिल्ली
- प्रोफेसर पल्लवी सापरे, डीन- ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई
- डॉ. पदमा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, AIIMS
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CJI: आज महिलाएं तेजी से वर्कप्लेस में शामिल हो रही हैं। इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और बदलाव लाने के लिए एक और बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकते।
CJI ने कहा कि मौजूदा कानून डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं।
CJI: डॉक्टरों के पास आराम करने के लिए जगह नहीं है। उनके लिए बुनियादी स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जाता है। चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा इकाइयों में सुरक्षा की कमी है। डॉक्टरों को अनियंत्रित रोगियों को संभालने के लिए छोड़ दिया जाता है। अस्पताल में चिकित्सा पेशेवरों के लिए केवल एक सामान्य शौचालय है। पेशेवरों को शौचालय तक पहुंच के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
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CJI: हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि राज्य सरकार अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के मामले को कैसे नहीं संभाल पाई।
CJI: अस्पताल दिन-रात खुले रहते हैं, डॉक्टर चौबीसों घंटे काम करते हैं।
CJI ने ड्यूटी पर मौजूद मरीजों के परिजनों द्वारा डॉक्टरों पर की गई हिंसा के कई मामलों का जिक्र किया। CJI ने कहा कि चिकित्सा पेशे में हिंसा की आशंका बढ़ गई है। पुरुष प्रधान सोच के कारण महिला डॉक्टरों को ज्यादा निशाना बनाया जाता है।
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CJI: आप प्रिंसिपल के साथ क्या करना चाहते हैं।
सिब्बल: न्यायालय जो भी करना चाहेगा, वह किया जाएगा।
CJI: पश्चिम बंगाल प्रदर्शनकारियों पर बल का बिल्कुल भी प्रयोग न करें।
CJI: 9 अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल में पीजी डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। यौन उत्पीड़न की इस क्रूरता ने अंतरात्मा को झकझोर दिया है, उसका नाम और तस्वीरें निजता का उल्लंघन करते हुए प्रसारित की गई हैं।
CJI: माता-पिता को कई घंटों के बाद शव देखने की अनुमति दी गई, 14 अगस्त को हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी। भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की।
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CJI: पोस्टमार्टम से पता चला कि डॉक्टर की हत्या की गई थी और एफआईआर रात 11:45 बजे दर्ज की गई थी? अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे?
SG: एफआईआर दर्ज करने के लिए आपको मेडिकल बोर्ड की जरूरत नहीं है।
सिब्बल: चिंता यह है कि तस्वीरें मीडिया तक कैसे पहुंचीं। हमारे पास नहीं पहुंचीं। वहां लोग थे, जिन्होंने यह सब किया।
SG: हम एक ऐसे केस पर बात कर रहे हैं, जिसमें एक यौन विकृत व्यक्ति ने न सिर्फ डॉक्टर के साथ बलात्कार किया, बल्कि उसके साथ एक जानवर जैसा व्यवहार किया।
हमें इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। राज्य सरकार इससे इनकार नहीं कर सकती कि देश में लगभग 23 राज्यों में ऐसे कानून हैं, जो चिकित्सा सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने और डॉक्टरों पर हमले को रोकते हैं।
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जस्टिस जेबी पारदीवाला: एफआईआर दर्ज करवाने वाला पहला व्यक्ति कौन है और हमें समय भी बताएं।
सिब्बल: मृतक के पिता और फिर अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल ने एफआईआर कराई।
जस्टिस पारदीवाला: पहली FIR किसने करवाई।
सिब्बल: मृतक के पिता ने रात 11:45 बजे।
CJI: शव को अंतिम संस्कार के लिए कब सौंपा गया।
SG: रात 8:30 बजे के करीब।
CJI: तो एफआईआर रात 11:45 बजे की है, वो भी अंतिम संस्कार के 3 घंटे बाद।
सिब्बल: चूंकि पिता सदमे में थे। वे पोस्टमार्टम चाहते थे और यह किया गया। सभी की वीडियोग्राफी की गई।
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CJI: हम एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं, जिसमें कई डॉक्टर शामिल होंगे जो पूरे भारत में अपनाए जाने वाले सुरक्षा के तौर-तरीकों का सुझाव देंगे, ताकि काम की सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और डॉक्टर अपने आप को सुरक्षित रखें। हम डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे काम पर लौट आएं। हम डॉक्टरों से अपील करते हैं कि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं।
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CJI: जब प्रिंसिपल का आचरण जांच के दायरे में है तो उसको तुरंत दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे नियुक्त किया गया। सीबीआई को गुरुवार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर हमें स्थिति से अवगत कराना चाहिए। यह संवेदनशील मामला है, इसलिए इसे हमें ही दिया जाए। आज हम आदेश पारित करेंगे।
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सिब्बल: हमने आरोपी को पकड़ लिया, जो सिविल वालंटियर था।
CJI: घटना के अगले दिन डॉक्टर विरोध कर रहे थे और भीड़ ने अस्पताल पर हमला किया। महत्वपूर्ण सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया। कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? घटनास्थल अस्पताल में है। पुलिस को इसकी सुरक्षा करनी है। वे क्या कर रहे हैं?
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CJI: सुबह-सुबह घटना सामने आने के बाद प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की। माता-पिता को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई।
सिब्बल: यह सही नहीं है।
CJI: देर रात तक कोई एफआईआर नहीं हुई।
सिब्बल: अप्राकृतिक मौत का मामला तुरंत दर्ज किया गया, जो कि एफआईआर में है।
CJI: क्या एफआईआर में कहा गया है कि यह हत्या थी।
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CJI: प्रोटोकॉल कागज पर नहीं हो सकता, बल्कि पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। कोलकाता के मामले में हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़ित का नाम और फोटो, वीडियो सभी मीडिया में प्रकाशित हो रहे हैं। ग्राफिक में उसका शव दिखाया गया है] जो घटना के बाद का है।
सिब्बल: हमने 50 FIR की हैं।
CJI: क्या अब हम इस तरह से विक्टिम का सम्मान करेंगे?
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CJI: हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, महिला डॉक्टरों, रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं मिल रही। पुरुष और महिला डॉक्टरों के लिए कोई अलग से रेस्ट रूम और ड्यूटी रूम नहीं है। आखिरकार संविधान के तहत समानता किस बात की है, अगर महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर सुरक्षित नहीं रह सकतीं।
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सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह: मैं IMA की ओर से पेश हो रहा हूं।
सीजेआई: हमने स्वत: संज्ञान लेने का फैसला क्यों किया, जबकि हाईकोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा था, क्योंकि यह सिर्फ कोलकाता के अस्पताल में हुई हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
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सीजेआई: हम आपस में चर्चा कर रहे थे।
एसजी: क्या आप अपनी चिंताओं को साझा कर सकते हैं, जिसके समाधान में हम सहायता कर सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, मनिंदर सिंह, एएम सिंघवी, विजय हंसारिया आगे की लाइन में बैठे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी कोर्ट में मौजूद हैं।
केंद्र सरकार का सभी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश
आरोपी का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा, CBI को इजाजत मिली
ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में आरोपी संजय रॉय का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा। कोलकाता की अदालत ने CBI को इसकी इजाजत दे दी है। संजय 10 अगस्त से पुलिस गिरफ्त में है। CBI की एक टीम सोमवार (19 अगस्त) शाम को कुछ इलाकों के CCTV कैमरों के सीसीटीवी फुटेज हासिल करने के लिए कोलकाता पुलिस हेडक्वार्टर पहुंची।
पहले कहा जा रहा था कि आरजी कर अस्पताल से पहली बार निकलने के बाद आरोपी सेक्स वर्कर्स के मोहल्ले में गया था, लेकिन उसने वहां महज शराब पी थी। अब सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि वह ठीक कहां-कहां और किस घर में गया था?
पूर्व प्रिंसिपल जांच के दायरे में, लगातार चार दिन पूछताछ हुई
ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में CBI ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी पूछताछ कर रही है। उनसे शुक्रवार (16 अगस्त) से लगातार चार दिन पूछताछ की गई। बीच-बीच में उन्हें कुछ समय का ब्रेक भी मिल रहा था। CBI सूत्रों के मुताबिक, डॉ घोष जांच एजेंसी के 10 सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं।