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NEW DELHI नहीं रहे वाह !उस्ताद

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NEW DELHI जाकिर हुसैन को पंडित रविशंकर ने उस्ताद कहा था

NEW DELHI अपना तबला खुद उठाते थे; सबसे कम उम्र में पद्मश्री मिला

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दुनियाभर में मशहूर तबला वादक पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में 73 साल की उम्र में निधन हो गया। उस्ताद ने तबले को आम आदमी की समझ में आने वाला म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बनाया। वे कहते थे-

तबले के बिना जिंदगी है, ये मेरे लिए सोचना असंभव है

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पिता ने कान में तबले के बोल सुनाए, कहा- यही मेरी दुआ 2018 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) में फेस्टिवल के प्रोड्यूसर संजॉय रॉय के साथ उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने जीवन के पन्नों को खोला था। लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर ने जाकिर हुसैन पर पुस्तक ‘जाकिर हुसैन: ए लाइफ इन म्यूजिक’ लिखी थी।

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NEW DELHI जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सेशन ‘ए लाइफ इन म्यूजिक’ में उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहा था- जब मैं पैदा हुआ तो मां ने मुझे पिता उस्ताद अल्लारक्खा की गोद में रखा। दस्तूर के मुताबिक उन्हें मेरे कान में एक प्रार्थना सुनानी थी। पिता बीमार थे, लेकिन फिर भी वो अपने होंठों को मेरे कानों के बिल्कुल करीब ले आए और तबले के कुछ बोल सुनाए। मां नाराज हुईं और कहा कि यह तो अपशकुन है। पिता ने जवाब दिया कि संगीत मेरी साधना है और सुरों से मैं सरस्वती और गणेश की पूजा करता हूं। इसलिए यही सुर-ताल मेरी दुआ है।

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