NEW DELHI सदन में संविधान पर बड़ी बहस विपक्ष पर भड़के मोदी
NEW DELHI संविधान पर चर्चा, मोदी बोले- यह लोकतंत्र का उत्सव
NEW DELHI विश्व के लोकतांत्रिक देशों के नागरिकों के लिए ये गौरव का पर्व
NEW DELHI संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर लोकसभा में चर्चा का शनिवार को दूसरा दिन है। प्रधानमंत्री मोदी की स्पीच शुरू हो गई है। मोदी बोले- हम सबके लिए और सभी देशवासियों के लिए इतना ही नहीं, विश्व के लोकतांत्रिक देशों के नागरिकों के लिए ये गौरव का पर्व है। बड़े गर्व के साथ लोकतंत्र के उत्सव को मनाने का ये अवसर है।
मोदी बोले- संविधान के 75 वर्ष की यात्रा यादगार यात्रा है। इसके मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दिव्य दृष्टि, उनका योगदान है, जिसे लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। 75 साल पूर्ण होने पर उत्सव का पर्व है। मेरे लिए खुशी की बात है कि संसद भी इस उत्सव में शामिल होकर अपनी भावनाओं को प्रकट कर रही है।
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मोदी बोले- 75 साल की ये उपलब्धि साधारण नहीं असाधारण है। जब देश आजाद हुआ, उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गईं थी, उन सभी संभावनाओं को परास्त करते हुए संविधान हमें यहां तक ले आया है। इस महान उपलब्धि के लिए संविधान निर्माताओं के साथ-साथ मैं देश के कोटि-कोटि नागरिकों को नमन करता हूं।
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PM बोले- भारत का नागरिक सर्वाधिक अभिनंदन का भागी है। संविधान निर्माता इस बात पर बहुत सजग थे। ये वो नहीं मानते थे कि भारत का जन्म 1947 में हुआ। वे मानते थे कि यहां की महान परंपरा को हजारों साल की उस यात्रा के लिए वे सजग थे। भारत का लोकतंत्र, गणतांत्रिक अतीत समृद्ध रहा है, विश्व के लिए प्रेरक रहा है। तभी भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। हम सिर्फ विशाल लोकतंत्र नहीं, हम लोकतंत्र की जननी हैं।
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने कहा था- सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है, ये हमारे मन में अपने गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, सभाओं में विद्वान देश के अहम मामलों पर चर्चा करते थे।
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डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा था- इस महान राष्ट्र के लिए गणतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। हमारे यहां ये इतिहास की शुरुआत से ही है। बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था- ऐसा नहीं है कि भारत को पता नहीं था कि लोकतंत्र क्या होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।
संविधान निर्माण में नारी शक्ति ने संविधान को सशक्त करने की भूमिका निभाई है। सक्रिय सदस्य थे। मौलिक चिंतन के आधार पर उन्होंने संविधान सभा की डिबेट को समृद्ध किया था। वे अलग-अलग बैकग्राउंड की थीं। उनके सुझावों का संविधान निर्माण में बहुत प्रभाव रहा था। दुनिया के कई देश आजाद हुए, संविधान बना, महिलाओं को अधिकार देने में दशकों बीत गए। हमारे यहां शुरुआत से ही महिलाओं को वोट का अधिकार दिया गया।
जब जी-20 हुई, उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए विश्व के सामने विमन लीड डेवलपमेंट का विचार रखा। अब आगे जाने की जरूरत है। विमल लीड डेवलपमेंट की चर्चा को हमने अंजाम दिया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित करके हमारी महिला शक्ति को भारतीय लोकतंत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए।