BASTI घाट का निरीक्षण कार्य में लगे पुलिस अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया
ए0एस0पी0 बस्ती द्वारा सी0ओ0 कलवारी के साथ माँ लक्ष्मी प्रतिमा विसर्जन को सकुशल/ शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने के दृष्टिगत शहर क्षेत्रान्तर्गत प्रमुख प्रतिमा विसर्जन स्थल अमहट घाट का निरीक्षण कर कार्य सरकार/ कर्तव्य पालन में लगे पुलिस अधिकारी/ कर्मचारीगण को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया-
रिपोट: शिव प्रकाश चौबे
रिपोर्टर: भानपुर- बस्ती U.P.
BASTI अपर पुलिस अधीक्षक बस्ती द्वारा क्षेत्राधिकारी कलवारी मय पुलिस बल के साथ माँ लक्ष्मी प्रतिमा विसर्जन को सकुशल/ शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने के दृष्टिगत शहर क्षेत्रान्तर्गत प्रमुख प्रतिमा विसर्जन स्थल अमहट घाट का निरीक्षण कर विसर्जन को सकुशल शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने हेतु किये गए व्यवस्थाओं/ सुविधाओं/ तैयारियों जायजा लेते हुए कार्य सरकार/ कर्तव्य पालन में लगे पुलिस अधिकारी/ कर्मचारीगण को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया।
ेनीवाल की भावुक अपील, बोले- अगर खींवसर में RLP हार गई तो मेरा 20 साल का संघर्ष जाएगा
बेनीवाल की भावुक अपील कहा-मेरा 20 साल का संघर्ष बर्बाद हो जाएगा अगर RLP खींवसर से चुनाव हार गई तो ; RLP की जीत हो
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमों हनुमान बेनीवाल ने प्रचार के दौरान कहा कि इस बार अगर RLP खींवसर से चुनाव हार गई तो मेरा 20 साल का संघर्ष खत्म हो जाएगा। खींवसर उपचुनाव में हनुमान की पत्नी कनिका बेनीवाल मैदान में हैं. बेनीवाल ने कहा कि इस चुनाव के अंदर भारतीय जनता पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को फर्क पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा ” अगर RLP विधानसभा में नहीं रही, तो मेरा 20 साला का संघर्ष चला जाएगा. लोग कहेंगे कि हनुमान 20 साल लड़ा और अंत में खींवसर की सीट भी चली गई. इसलिए आप लोग यह सुनिश्चित कर लो की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की जीत हो और मैं 4 साल राजस्थान की सड़कों पर बजरी माफियाओं के खिलाफ लड़ता रहूं”
हनुमान बेनीवाल राजनीतिक घराने से आते हैं और उनकी यह विरासत 47 साल पुरानी है. बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल दो बार विधायक रहे हैं. 1977 में रामदेव बेनीवाल ने मुंडावा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता और बाद में 1985 में वो लोकदल से विधायक रहे. 2008 में परिसीमन के बाद इस सीट को खींवसर विधानसभा सीट बना दिया गया और बेनीवाल भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत कर पहले बार विधानसभा पहुंचे थे.
अपने पिता की तरह हनुमान बेनीवाल में भी प्रासंगिक बने रहने के लिए ‘किसी के भी साथ चले जाने’ का हुनर है. 2008 में पहली बार विधायक बने बेनीवाल की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सियासी लड़ाई चलती रही, जिसके बाद उन्हें 2013 में भाजपा से निष्काषित कर दिया गया था. उसके बाद उन्होंने खींवसर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी.
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