rajasthan 25 लाख की बाइक ने खोला छत्रपाल का ‘छल’:करोड़ों की प्रॉपर्टी छिपाने को बनाया फर्जी आधारकार्ड, दूसरी पत्नी निकली करोड़पति, साला भी रडार पर
Rajasthan
rajasthan में ACB की गिरफ्त में आए राजकॉम्प के GM (तकनीकी) छत्रपाल सिंह की लग्जरी लाइफ ने सभी को चौंका दिया है। 27 साल की नौकरी में छत्रपाल ने 1.49 करोड़ रुपए सैलरी ली, लेकिन ACB को करोड़ों की काली कमाई के सबूत मिले हैं।
छत्रपाल सिंह ने ‘काली कमाई’ से बनाई प्रॉपर्टी छिपाने के लिए कई ‘छल’ भी किए। इनमें से एक है खुद के लिए बनवाया गया फर्जी आधार कार्ड। जब राजस्थान एसीबी ने उसकी 25 लाख की BMW बाइक के रिकॉर्ड खंगाले, तब इसका खुलासा हुआ। अब दूसरे राज्य में FIR दर्ज करने के लिए ACB वहां की सरकार को पत्र लिखने की तैयारी कर रही है।
अधिकारी रहते हुए छत्रपाल खुद तो करोड़पति बना साथ ही अपनी दूसरी पत्नी के नाम भी करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी। पिछले साल छत्रपाल की दूसरी पत्नी के खातों में एक ही महीने में दूसरे राज्य से 40 लाख भेजे गए थे। ये खाता इन ट्रांजैक्शन के बाद बंद कर दिया गया। आपसी ट्रांजैक्शन के चलते जांच की आंच साले (दूसरी पत्नी का भाई) तक भी पहुंच गई है।
सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला छत्रपाल जब सरकारी अधिकारी बना तो उसके हाथ खाली थे। नौकरी लगते ही कैसे करोड़ों का मालिक बना?
राजस्थान में ACB की गिरफ्त में आए राजकॉम्प के GM (तकनीकी) छत्रपाल सिंह की लग्जरी लाइफ ने सभी को चौंका दिया है। 27 साल की नौकरी में छत्रपाल ने 1.49 करोड़ रुपए सैलरी ली, लेकिन ACB को करोड़ों की काली कमाई के सबूत मिले हैं।
छत्रपाल सिंह ने ‘काली कमाई’ से बनाई प्रॉपर्टी छिपाने के लिए कई ‘छल’ भी किए। इनमें से एक है खुद के लिए बनवाया गया फर्जी आधार कार्ड। जब राजस्थान एसीबी ने उसकी 25 लाख की BMW बाइक के रिकॉर्ड खंगाले, तब इसका खुलासा हुआ। अब दूसरे राज्य में FIR दर्ज करने के लिए ACB वहां की सरकार को पत्र लिखने की तैयारी कर रही है।
अधिकारी रहते हुए छत्रपाल खुद तो करोड़पति बना साथ ही अपनी दूसरी पत्नी के नाम भी करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी। पिछले साल छत्रपाल की दूसरी पत्नी के खातों में एक ही महीने में दूसरे राज्य से 40 लाख भेजे गए थे। ये खाता इन ट्रांजैक्शन के बाद बंद कर दिया गया। आपसी ट्रांजैक्शन के चलते जांच की आंच साले (दूसरी पत्नी का भाई) तक भी पहुंच गई है।
सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला छत्रपाल जब सरकारी अधिकारी बना तो उसके हाथ खाली थे। नौकरी लगते ही कैसे करोड़ों का मालिक बना?
एसीबी की पड़ताल में सामने आया कि BMW बाइक का कांगड़ा जिले के नूरपुर ट्रांसपोर्ट कार्यालय (HP-38) में आधार कार्ड देकर खुद के नाम से रजिस्ट्रेशन करवाया रखा है। रजिस्ट्रेशन में छत्रपाल ने अपना आधार नंबर ‘XXXX84584654’ दिया है, जबकि छत्रपाल सिंह का मूल पता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का है। उसका असली आधार कार्ड नंबर ‘XXX87504869’ उससे अलग है। छत्रपाल वर्तमान में जयपुर के महादेव नगर, सोडाला निवासी है। साथ ही वह दूसरी पत्नी अंजू शर्मा के साथ एक अपार्टमेंट में भी रह रहा है।
ACB ने रिपोर्ट में कहा है कि छत्रपाल ने हिमाचल प्रदेश का आधार कार्ड फर्जी तरीके से बनाया गया है, जिससे कि वो अपनी संपत्तियों को छिपा सके। साथ ही, आरटीओ टैक्स बचा सके। ACB ने तय किया है कि अब इस जांच के आधार पर हिमाचल प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजा जाएगा, जिससे वहां अच्छे से जांच हो और कार्रवाई हो सके।
दूसरी पत्नी के नाम सुपर लग्जरी दो फ्लैट, शादी से ठीक पहले हुई खरीद
छत्रपाल की दूसरी पत्नी अंजू शर्मा भी करोड़पति हैं। छत्रपाल से अंजू शर्मा की शादी 24 अप्रैल 2022 को जयपुर में धूमधाम से हुई थी। ACB रिपोर्ट के अनुसार, शादी से ठीक पहले फरवरी, 2022 को छत्रपाल ने दूसरी पत्नी के नाम से अजमेर रोड पर दो सुपर लग्जरी अपार्टमेंट खरीदे थे। एयर अपार्टमेंट में 12वें और 13वें फ्लोर पर स्थिति दोनों फ्लैट की खरीद करीब 1.40 करोड़ में दिखाई गई है।
इन फ्लैटों में लाखों का इंटीरियर भी हुआ है। अंजू देवी की सालाना आय 2022-23 व 2023-24 में करीब 11.94 लाख ही दिखाई गई है। खास बात यह है कि इसी दौरान इसी अपार्टमेंट की 14 मंजिल पर तीसरा फ्लैट छत्रपाल ने अपने नाम से खरीदा, जिसकी खरीद 87.74 लाख रुपए में दिखाई गई है। ऑनलाइन चेक करने पर एक फ्लैट की कीमत करीब 1.2 करोड़ के आस-पास है। ऐसे में तीनों फ्लैट की अनुमानित कीमत करीब 3.5 करोड़ से भी ज्यादा बनती है।
पत्नी के NGO में ईमानदारी से जीने और चिंता-तनाव से दूर रहने का पाठ अंजू शर्मा के नाम ‘हैपी हार्ट फाउंडेशन’ भी है। फाउंडेशन का ऑफिस भी जयपुर के पॉश एरिया माने जाने वाला युधिष्ठिर मार्ग, सी स्कीम, अशोक नगर में स्थित है। इसके इंटीरियर में भी लाखों खर्चा हुआ। फाउंडेशन और खुद के खातों में भी लाखों रुपए हैं। इस फाउंडेशन में वह ईमानदारी से जीना, चिंता-तनाव से दूर रहना, ध्यान के जरिए अवसाद से मुक्ति, आपसी संबंध में मधुरता, पिछले जीवन के मुद्दों को हावी नहीं होने देना आदि टिप्स देने के साथ करियर काउंसलिंग भी की जाती है।
अंजू शर्मा के खुद के लेन-देन और फर्म के लेन-देन भी संदिग्ध मानकर ACB जांच में जुटी हुई है। ACB की खास नजर 2023 में 24 फरवरी से 23 मार्च यानी एक महीने में 18 लाख, 10 लाख और 12 लाख के ट्रांजैक्शन पर है। ये पैसे अंजू शर्मा के खाते में यूपी से डलवाए गए। ACB ने अपनी रिपोर्ट में इस लेन-देन को अवैध माना है। ACB का आरोप है राशि लेने के बाद लौटाई नहीं गई, बल्कि संपत्ति खरीदने के बाद खाते को ही बंद कर दिया गया। ACB ने अंजू देवी की शिक्षण डिग्रियों को भी संदिग्ध माना है।
दूसरी पत्नी के भाई की कंपनी में पता छत्रपाल का, अब आया ACB के रडार पर छत्रपाल की दूसरी पत्नी अंजू शर्मा का भाई गाजियाबाद (यूपी) निवासी उमेश शर्मा भी एसीबी की रडार पर है। उमेश शर्मा की फर्म ‘ला-टेक सॉल्यूशन’ सेक्टर-1, वैशाली, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में चल रही है। इस फर्म का पता छत्रपाल के खुद के नाम पर खरीदे गए फ्लैट का है- एयर अपार्टमेंट, फ्लैट नं. 1401, श्याम नगर, जयपुर है। उमेश की इस फर्म में 50 फीसदी हिस्सेदारी है।
उमेश ने आईटीआर में 2012-13, 2013-14, 2022-23 और 2023-24 में खुद की आय 12.44 लाख दिखाई है, जबकि उमेश का गाजियाबाद में पॉश कॉलोनी में फ्लैट है। अंजू शर्मा और उसके भाई उमेश शर्मा के बैंक खातों भी एसीबी ने खंगाले हैं। पता चला है कि अंजू शर्मा ने उमेश के बैंक खाते में लाखों रुपए जमा करवाए हैं। ACB ने अपने सूत्रों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा है कि ये लाखों रुपए छत्रपाल के हैं।
स्पा सेंटर, पहली पत्नी से खाते में आए रुपए ACB को जांच के दौरान पता चला कि छत्रपाल सिंपली डिवाइन नाम से राजापार्क में स्पा सेंटर चला रहा है। टीम की जांच में सामने आया कि फ्रेम इंटरनेशनल फर्म के इस स्पा के प्रचार में छत्रपाल ने अपना मोबाइल नंबर दिया हुआ है। साथ ही, फ्रेम इंटरनेशनल के नाम एक बाइक रजिस्टर्ड है, जिसकी आरसी में छत्रपाल के मोबाइल नंबर दिए हुए हैं। यही नहीं, जब इस स्पा के आय-व्यय का ब्योरा देखा तो पता चला कि छत्रपाल की पहली पत्नी मोहिनी राठौड़ ने 2020 में 50 हजार रुपए क्रेडिट किए। ACB सूत्रों के अनुसार स्पा से संबंध जोड़ने के लिए छत्रपाल के खिलाफ काफी सबूत हैं।
सरकार से छिपाई संपत्ति और परिजनों के नाम से खरीद एसीबी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि जांच के दौरान छत्रपाल की आम लोगों की नजरों में छवि एक भ्रष्ट अधिकारी की बनी हुई है। एक सामान्य परिवार में रहते हुए अधिकारी बना और 1997 में नियुक्ति के बाद अचानक ऊंचे दर्जे का रहन-सहन हो गया, जो वैध आय से संभव नहीं है। कई ठिकानों पर पड़े ACB के छापों में BMW की 25 लाख की बाइक के अलावा पोर्श-डिफेंडर, जगुआर, सहित कई लग्जरी कारें मिली, इनके रजिस्ट्रेशन की जांच भी चल रही है। संपत्ति बनाने के साथ रहन-सहन के स्तर में सेवा काल के दौरान अनेक विदेश यात्राएं भी शामिल हैं।
ACB की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारी बनने के बाद छत्रपाल ने जयपुर सहित अन्य स्थानों पर खुद के, मां और पत्नियों के नाम संपत्तियां खरीदी। इसकी जानकारी विभागाध्यक्षों (संबंधित आला या सक्षम अधिकारी) को नहीं दी। साथ ही, संपत्तियां ऑनलाइन राजकाज सॉफ्टवेयर में भी अपलोड नहीं की गईं। ये जानकारियां सरकार से छिपाई गई हैं। ACB ने माना है कि संदिग्ध अधिकारी का ये आचरण नियमों के खिलाफ है। बताए गए आय के साधनों के बजाय संदिग्ध गतिविधियों से अर्जित करने का सटीक उदाहरण है।
अब एसीबी खंगालेगी विदेश यात्राएं और पोस्टिंग के दौरान लेनदेन की जानकारी ACB सूत्रों के अनुसार छत्रपाल ने शुरुआत राजकॉम्प में असिस्टेंट मैनेजर से की। शुरुआती पोस्टिंग स्टोर, परचेज, एडमिनिस्ट्रेशन सहित कई जगह रही। ई-मित्र लॉजिस्टिक्स का भी काम देखा।
राजकॉम्प राज्य सरकार की एक कंपनी है, जो सभी सरकारी विभागों को IT परामर्श, ई-गवर्नेंस परियोजनाओं, सॉफ्टवेयर, GIS विकास के लिए सेवाएं देती है। प्रदेश के ई-मित्र से लेकर संपर्क पोर्टल का काम भी यही कंपनी देखती है। पोस्टिंग्स के दौरान वह कई कंपनियों और एजेंसियों के संपर्क में आया। अलग-अलग पोस्टिंग्स के दौरान की सेवा की गतिविधियों की जांच की जा रही है।
विदेश यात्राओं का लेखा&जोखा जानने के लिए ACB ने पासपोर्ट डिपार्टमेंट से भी रिकॉर्ड मांगा है। छत्रपाल ने ACB को बताया है कि उसका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया है।
पिता डॉक्टर से रिटायर, दे रहे फ्री सेवा ACB सूत्रों के अनुसार छत्रपाल के पिता एमपी सिंह शेखावत सरकारी डॉक्टर के पद से रिटायर हुए हैं। वे हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर डबली राठान गांव में रहते हैं। करीब 81 वर्ष के शेखावत इस उम्र में भी ग्रामीणों को इलाज के लिए फ्री सलाह दे रहे हैं। उनका पूरे क्षेत्र में काफी नाम है। उनकी आय पेंशन और कृषि से हो रही है।
एसीबी डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार, शिकायत के आधार पर छत्रपाल की खुद के नाम की और उसके परिजनों के नाम की संपत्तियों का वैरिफिकेशन करवाया गया है। शिकायत मिली थी कि राजकॉम्प ग्रुप के जनरल मैनेजर छत्रपाल सिंह ने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर कई जमीन, फ्लैट, मकान और लग्जरी वाहन खरीदे हैं।
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