कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 9 अगस्त को हुए ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में आज (22 अगस्त) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद AIIMS के डॉक्टरों ने 11 दिन से चल रही हड़ताल खत्म कर दी है।
इससे पहले CJI ने कहा था कि डॉक्टर काम पर लौट आएं। अस्पतालों की स्थिति जानता हूं। मैं खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था। वापस आने के बाद आप पर कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा
CJI ने कहा कि हमें बताया गया कि डॉक्टर काम पर वापस जाने के लिए तैयार हैं। राज्य सरकारें डॉक्टरों के लिए कुछ सुरक्षा इंतजाम कर सकती हैं। हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय निर्देश देते हैं कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी हो जानी चाहिए। राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करें।
सुनवाई के दौरान CBI ने कोर्ट में कहा- क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।
सुनवाई खत्म
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एक वकील ने प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में सुरक्षा के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा- वे किसी को भी नौकरी पर रख लेते हैं, कोई वैरिफिकेशन नहीं।
CJI: हमारे पास डॉक्टरों का एक ग्रुप है जो छोटे अस्पतालों के लिए क्या करना है, इस पर विचार कर रहा है।
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CJI: हमें बताया गया कि डॉक्टर काम पर वापस जाने के लिए तैयार हैं। राज्य सरकारें डॉक्टरों के लिए कुछ सुरक्षा इंतजाम कर सकती हैं। हम निर्देश देते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी हो जानी चाहिए। राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करें।
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CJI: हमने स्टेटस रिपोर्ट पढ़ ली है। इसे सील किया जाएगा।
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दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन: डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज हैं।
CJI: आप कब से विरोध कर रहे हैं।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन: घटना के दिन से।
CJI: तो 13 दिन से एम्स के डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं। कृपया काम पर लग जाइए। हमने यह सुनिश्चित किया है कि आज के आदेश के बाद कोई विरोध प्रदर्शन हो तो कोई बलपूर्वक कार्रवाई न की जाए।
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CJI: ज्यूडिशियल और मेडिकल हड़ताल पर नहीं जा सकते। क्या हम सुप्रीम कोर्ट के बाहर जाकर बैठ सकते हैं।
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CJI: जब हम कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को परेशान नहीं किया जाएगा, तो हमारा मतलब यह भी है कि उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
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CJI: जहां तक डॉक्टरों का सवाल है, उन्हें काम पर वापस लौटना होगा।
एसजी: हमारे पास पश्चिम बंगाल के मौजूदा मंत्री का बयान है, उनका कहना है कि अगर हमारे नेता के खिलाफ कुछ भी बोला गया, तो उंगलियां काट दी जाएंगी
सिब्बल: आपके नेता कहते हैं कि वे गोली मार देंगे!
CJI: इसका राजनीतिकरण न करें, कानून अपना काम कर रहा है। हम डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में भी चिंतित हैं, हम ऐसे दिशा-निर्देश नहीं बनाएंगे, हम प्रोटोकॉल लागू करेंगे
सिब्बल: वे कह रहे हैं कि एसिड बम का इस्तेमाल किया जाएगा, विपक्ष के नेता ने यह कहा है…
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CJI: डॉक्टरों ने आशंका व्यक्त की है कि उनमें से कुछ के खिलाफ अतीत में हुए विरोध प्रदर्शनों के संबंध में कार्रवाई की जा रही है। हमें आश्वासन दिया गया है कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएंगे। आज के आदेश की तारीख के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। हम आदेश देते हैं कि विरोध प्रदर्शन के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
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CJI: इस कोर्ट ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। उम्मीद की जाती है कि डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आएंगे, एनटीएफ की रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती सभी राज्य सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहेंगे।
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CJI: मिस्टर सिब्बल ने कहा कि इस कोर्ट ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि राज्य अपनी शक्ति का वैधानिक रूप से उपयोग नहीं कर सकता।
कोर्ट ने राज्य को कानून द्वारा सौंपी गई वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने से नहीं रोका है, लेकिन हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में बाधा नहीं डाली जाएगी और राज्य आरजी कर घटना के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
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CJI: डॉक्टर्स और अन्य पक्षकारों की ओर से कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा। पहले निर्णय लिया गया था कि नेशनल टास्क फोर्स सभी पक्षकारों से परामर्श करेगा। इस प्रकार हम आशा और विश्वास करते हैं कि प्रभावित होने वाले सभी हितधारकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोगों की बात सुनी जाएगी। वकीलों ने कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए हैं जैसे कि इमरजेंसी कॉल सिस्टम, इंस्टीट्यूशनल FIR दर्ज करना और मुआवजा संकट निधि का गठन करना। एनटीएफ को इन सभी पर विचार करना चाहिए।
हम भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को निर्देश देते हैं कि वे मंत्रालय की वेबसाइट पर एक पोर्टल खोलें, जहां सभी पक्षकार समिति के सामने अपने सुझाव रख सकें।
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CJI: मौत की जांच सीबीआई को करने दीजिए और तोड़फोड़ की जांच कोलकाता पुलिस को करने दीजिए। हमने कभी नहीं कहा कि सामान्य कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाएगा। केवल इतना कहा कि केवल विरोध प्रदर्शन के लिए गिरफ्तारी न करें।
हमें सीबीआई और कोलकाता पुलिस की स्थिति रिपोर्ट मिल गई है। कोलकाता पुलिस विरोध-प्रदर्शन के बाद छात्रावास में हुई तोड़फोड़ की जांच कर रही है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का अनुरोध एसीजेएम सियालदह को सौंपा गया है और यह प्रोसेस में है। एसीजेएम सियालदह 23 अगस्त, 2024 को शाम 5 बजे से पहले इस आवेदन पर आदेश पारित करेंगे।
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CJI: FIR देर रात 11:30 दर्ज क्यों की गई। इसको कैसे जस्टिफाई करेंगे। क्या कारण है कि
- एफआईआर 14 घंटे देरी से दर्ज की गई।
- कॉलेज के प्रिंसिपल को सीधे कॉलेज आकर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी, वह किसका बचाव कर रहे हैं?
- उन्होंने इस्तीफा दिया तो दूसरे कॉलेज को काम सौंप क्यों दिया?
लंच के बाद सुनवाई फिर शुरू
लंच ब्रेक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई फिर शुरू कर दी है। कोलकाता पुलिस की रिपोर्ट पर सुनवाई हो रही है।
एसजी ने सिब्बल से कहा- लड़की की जान चली गई, हंसिए तो मत
एसजी कोर्ट में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने सिब्बल को हंसते हुए देखा तो एसजी ने कहा- एक लड़की की जान चली गई है। कम से कम हंसिए तो मत।
लंच ब्रेक, अब 2 बजे से सुनवाई
CJI बोले- अब हम लंच ब्रेक के बाद 2 बजे सुनवाई शुरु करेंगे।
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डॉक्टरों की तरफ से पेश वकील ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पोस्टमॉर्टम में 150 ग्राम सीमन का जिक्र है।
CJI: सोशल मीडिया से पढ़कर हमें तर्क न दें। हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। हम जानते हैं कि 150 ग्राम का क्या मतलब है।
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कोर्ट में जिरह के दौरान बंगाल सरकार के वकील सिब्बल ने SG से कहा- आप केवल पानी में कीचड़ डाल रहे हैं। एसजी ने जवाब दिया- हम केवल पानी से कीचड़ हटा रहे हैं।
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जस्टिस पारदीवाला: राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा। पहली बात, क्या यह सच है कि अननैचुरल डेथ रिपोर्ट 10:30 बजे दर्ज की गई थी? दूसरी बात, यह असिस्टेंट सुपरिडेंडेंट नॉन-मेडिकल कौन है, उसका आचरण भी बहुत संदिग्ध है, उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया?
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सिब्बल: कृपया केस डायरी देखें।
SC: यूडी केस कब दर्ज हुआ? (यूडी: अप्राकृतिक मौत केस रिपोर्ट)
सिब्बल: दोपहर 1:45 बजे।
SC: आपको यह कहां से मिला? हमें दिखाइए।
जस्टिस पारदीवाला: कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें। हमें अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि यूडी केस कब दर्ज हुआ।
सिब्बल: केस डायरी का पेज 2
जस्टिस पारदीवाला: ठीक है, हमें बताएं कि जांच पंचनामा कब हुआ?
सिब्बल: शाम 4:20 से 4:40 बजे।
SC: हमारे पास जो रिपोर्ट है, उससे पता चलता है कि जांच पंचनामा और पोस्टमार्टम के बाद यूडी केस दर्ज हुआ।
सिब्बल: नहीं।
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जस्टिस पारदीवाला: पोस्टमॉर्टम कब किया गया?
सिब्बल: शाम को 6:10 से 7:10 बजे के बीच।
जस्टिस पारदीवाला: जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि यह अप्राकृतिक मौत का मामला है।
यह बहुत आश्चर्यजनक है, अननैचुरल दर्ज करने से पहले पोस्टमार्टम किया जाता है।
उनसे कहिए कि वे जिम्मेदारी से बयान दें, जल्दबाजी में कोई बयान न दें।
सिब्बल ने अधिकारियों से सलाह ली
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सिब्बल से CJI बोले: एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है, मौत की अननैचुरल डेथ की एंट्री सुबह 10:10 बजे दर्ज की गई। क्राइम सीन की सुरक्षा, सबूत जुटाने आदि का काम रात 11:30 बजे किया गया? तब तक क्या हो रहा था?
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सिब्बल: मेरे पास हर मिनट की टाइमलाइन है कि क्या हुआ।
CJI: आपके पास पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है?
SG: हां, इसे पुलिस ने दिया था
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SG: सीनियर डॉक्टरों, पीड़ित के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए कहा, इसका मतलब है कि उन्हें भी लगा कि मामले को छुपाया जा रहा है।
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CJI: आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट कहां है?
SG: हमें दी नहीं गई है।
सिब्बल: यह केस डायरी का हिस्सा है और इसे जमा किया गया है।
SG: हमने 5वें दिन घटनास्थल पर प्रवेश किया और CBI जांच शुरू करना एक चुनौती है। अपराध स्थल को बदल दिया गया है।
बेंच CBI की रिपोर्ट पढ़ रही
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SG: NTF के सभी डॉक्टर इसी दौर से गुजर चुके हैं, वे सभी समस्या जानते हैं।
वकील: अस्पताल में डॉक्टर अभी भी डर महसूस कर रहे हैं।
SG: मुझे नाम बताए जाएं, मैं सुनिश्चित करूंगा कि CISF उन्हें देखे।
CJI: लेकिन किससे डर लग रहा है?
वकील: एडमिनिस्ट्रेशन मेंबर्स, अस्पताल में मौजूद लोगों, गुंडों से।
CJI: बात समझ में आ गई, NTF के लिए एक पोर्टल होना चाहिए, जहां गुमनाम सुझाव दिए जा सकें।
SG: कृपया CBI की स्टेटस रिपोर्ट देखें।
कपिल सिब्बल: हमने भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है।
SG: उनसे कुछ भी देने के लिए नहीं कहा गया।
सिब्बल: यह आदेश में है।
CJI: हां, हमने कोलकाता पुलिस से रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
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डॉक्टर्स के वकील: डॉक्टरों को 48-48 घंटे ड्यूटी करनी होती है। ऐसे में आप न तो शारीरिक रूप से और न ही मानसिक रूप से ऐसी स्थिति में होते हैं कि अपने साथ हो रहे अत्याचार का विरोध कर सकें। जबकि मैं गंभीर अपराधों की बात भी नहीं कर रहा हूं।
CJI: हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं, जिसमें डॉक्टरों ने कहा है कि उन पर बहुत ज्यादा दबाव है। 48 या 36 घंटे की ड्यूटी अच्छी नहीं है। हम इसे आज अपने आदेश में जोड़ देंगे।
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दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की ओर से वकील विजय हंसारिया: हम 110 साल पुराने एसोसिएशन हैं। अपराध के 2 घंटे के भीतर एफआईआर होनी चाहिए, शिकायत निवारण संख्या होनी चाहिए, फिर डॉक्टरों पर हमले से जुड़े ऐसे ही मामलों में तेजी लानी चाहिए।
CJI: यह बातें डॉक्टरों को भी बताएं। हम जानते हैं कि वे 36 घंटे काम कर रहे हैं। मैं खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूं जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था।
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वकील ने टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टर्स को शामिल करने का आग्रह किया।
CJI: अगर हम प्रतिनिधियों से टास्क फोर्स का हिस्सा बनने के लिए कहते हैं, तो काम करना असंभव हो जाता है। नेशनल टास्क फोर्स NTF में बहुत वरिष्ठ महिला डॉक्टर हैं, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में बहुत लंबे समय तक काम किया है।
NTF यह सुनिश्चित करेगी कि वह सभी प्रतिनिधियों की बात सुने। हम अपने आदेश में इसे दोहराएंगे। हम एक बयान जारी करेंगे कि रेजिडेंट डॉक्टरों की बात सुनी जाएगी, आपके हित और सुझाव बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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CJI: डॉक्टर काम पर लौट आएं। अगर आप काम पर वापस नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा। एनटीएफ में रेजिडेंट डॉक्टर शामिल नहीं होंगे, कृपया रेजिडेंट डॉक्टरों को आश्वस्त करें कि उनकी बात नेशनल टास्क फोर्स द्वारा सुनी जाएगी।
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नागपुर AIIMS के रेजिडेंट डॉक्टर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। उन्होंने कहा- उनके विरोध के कारण अब उन पर हमला किया जा रहा है। उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
CJI: अगर वे ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा। अगर वे ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा। उन्हें पहले काम पर लौटने के लिए कहें।
डॉक्टर के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करेगा। अगर उसके बाद कोई परेशानी होती है तो हमारे पास आएं। लेकिन पहले उन्हें काम पर आने दें।
CBI और कोलकाता पुलिस ने रिपोर्ट सौंपी
CBI ने केस की स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है। एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि 9 दिन की जांच में अब तक क्या जानकारी मिली है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को रेप-मर्डर केस CBI को सौंपा था। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को CBI से जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।
उधर कोलकाता पुलिस ने भी 14-15 अगस्त की रात अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की जांच रिपोर्ट सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में लापरवाही बरतने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकार भी लगाई थी।
मेडिकल कॉलेज की नई प्रिंसिपल का भी ट्रांसफर
पश्चिम बंगाल सरकार ने 21 अगस्त को देर रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की नई प्रिंसिपल डॉ. सुरहिता पाल, मेडिकल सुपरिनटैंडैंट डॉ. बुलबुल मुखोपाध्याय और चेस्ट डिपार्टमेंट की HoD अरुनभा दत्ता का तबादला कर दिया गया।
रेप-मर्डर केस को लेकर बीते 11 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने इन सभी अधिकारियों को हटाने की मांग की थी। डॉ. सुरहिता पाल की जगह मानस कुमार बंद्योपाध्याय को नया प्रिंसिपल नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तबादले के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
इधर, मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने कलकत्ता हाईकोर्ट से पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ ED जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि घोष के कार्यकाल में कई वित्तीय गड़बड़ी हुईं।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर आरोप…
- फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को टारगेट कर परेशान कराना, उनकी रैगिंग कराना, उन्हें शराब पिलाना।
- फर्स्ट ईयर की फीमेल स्टूडेंट्स और अस्पताल की महिला कर्मियों को टारगेट करके उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना।
- संदीप घोष की शह पर स्टूडेंट्स का अस्पताल में बाहर से लड़कियां लेकर आना।
- पैसे लेकर छात्रों को एग्जाम में पास कराना, छात्रों के साथ बैठकर शराब पीना।
- अनक्लेमड डैड बॉडी को प्राइवेट हॉस्पिटल को दे देना, शवों की हेराफेरी करना।
अस्पताल CISF के हवाले, 4 पुलिस अफसर सस्पेंड
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाए जाने के बाद बुधवार (21 अगस्त) को बंगाल सरकार हरकत में आई। अस्पताल में तोड़फोड़ मामले में बंगाल सरकार ने 2 असिस्टेंट कमिश्नर और 2 इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को कॉलेज में CISF तैनात करने के निर्देश दिए। इसके बाद बुधवार शाम को 150 जवान तैनात किए गए हैं। फोर्स ने रेजीडेंट डॉक्टरों के होस्टल और अन्य जगह भी मोर्चा संभाल लिया है।
21 अगस्त को पीड़ित परिवार से मिलकर राज्यपाल भावुक हुए
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने 21 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता से मुलाकात की। पीड़ित परिवार को देखकर वे भी भावुक हो गए। बोस ने कहा, ‘मैंने माता-पिता दोनों की बात सुनी है। मैं बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा। उन्होंने मुझे कुछ बातें बताई हैं, जो अभी गोपनीय हैं।’
कलकत्ता हाईकोर्ट में 4 सितंबर को सुनवाई
रेप-मर्डर केस में 21 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की जांच के लिए SIT बनाई है। यह उन्हें बचाने के लिए एक दिखावा है। हालांकि, कोर्ट ने कहा, ‘हम इस मामले को अब 4 सितंबर को सुनेंगे।’
उधर बंगाल सरकार ने मामले से जुड़ी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की बात कही। इस पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम ने कहा, मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। रिपोर्ट अपने पास रखिए इसे सुप्रीम कोर्ट में दिखाइए।
हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई 16 अगस्त को हुई थी। तब चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम ने राज्य सरकार और पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि अस्पताल में तोड़फोड़ के लिए 7 हजार की भीड़ आई थी। पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस खुद को नहीं बचा पा रही, तो डॉक्टर निडर होकर कैसे काम करेंगे।
आरोपी संजय रॉय का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा