SPACE मस्क के स्पेसक्राफ्ट में भी अड़चन; 8 महीनों में कितना बदल जाएगा शरीर
SPACE एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर स्पेस स्टेशन में 2 महीने से फंसे हुए हैं। उन्हें 5 जून 2024 को महज 8 दिनों के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के चलते वो धरती पर वापस नहीं आ सके। अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने कहा है कि दोनों की वापसी में फरवरी 2025 तक का वक्त लग सकता है।
5 जून 2024 को सुनीता स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों और हीलियम गैस के रिसाव के चलते सुनीता वहीं फंसी हैं।
https://www.facebook.com/chanakyanewsindialive
बोइंग की तरफ से कहा गया था कि ये लॉन्च, नासा और बोइंग के स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट की शुरुआत है। लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।
- 5 जून को जब स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने की कोशिश की गई तो ऐन वक्त पर इसके कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई थी। पहली कोशिश बेकार गई। दूसरी बार में इसे लॉन्च किया गया। इसके पहले 6 मई को भी लॉन्च की कोशिश हुई, लेकिन लॉन्च से ठीक दो घंटे पहले रॉकेट की ऊपरी स्टेज में एक प्रेशर वॉल्व में दिक्कत होने के चलते लॉन्च की उल्टी गिनती रोक दी गई थी।
- 5 जून को लॉन्च के पहले ही स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीडाइजर का फ्लो कंट्रोल करने वाले एक वॉल्व में गड़बड़ी आ गई थी। ऑक्सीडाइजर मतलब ऐसे केमिकल जो रॉकेट के फ्यूल को जलाने के लिए जरूरी होते हैं। ऑक्सीडाइजर की मदद से जब रॉकेट का फ्यूल जलता है तभी रॉकेट अपना रास्ता बदल पाते हैं। लॉन्च के पहले ही वॉल्व से भिनभिनाहट जैसी आवाज आ रही थी।
- नासा ने ये भी कहा था कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
- ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
Bangladesh हसीना को भारत छोड़कर बांग्लादेश लौटा मिलिट्री एयरक्राफ्ट
Bangladesh देश छोड़ा:गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ विमान
Bangladesh शेख हसीना ने PM आवास छोड़ा