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vaynad लैंडस्लाइड, 4 दिन बाद बचाए गए 4 आदिवासी बच्चे

ByNews Editor

Aug 3, 2024 #vaynad
vaynad लैंडस्लाइड, 4 दिन बाद बचाए गए 4 आदिवासी बच्चेvaynad लैंडस्लाइड, 4 दिन बाद बचाए गए 4 आदिवासी बच्चे

vaynad रेस्क्यू टीम ने हथेली में भरकर पानी पिलाया, शरीर से बांधकर पहाड़ से उतारा

कलपेट्‌टा

vaynad  लैंडस्लाइड के चौथे दिन शुक्रवार को एक अच्छी खबर आई। वन अधिकारियों ने 8 घंटे के ऑपरेशन में एक दूरदराज आदिवासी इलाके से 4 बच्चों समेत 6 लोगों का रेस्क्यू किया। बच्चे एक से चार साल के हैं। पनिया समुदाय का यह आदिवासी परिवार पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में फंसा था।

न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कलपेट्‌टा रेंज के फॉरेस्ट ऑफिसर हशीस ने बताया- हमने गुरुवार को मां और 4 साल के बच्चे को जंगल के पास भटकते देखा। पूछताछ में उसने अपना नाम शांता बताया। उसने कहा कि वे लोग चूरलमाला के एराट्टुकुंडु ऊरु (बस्ती) में रहते हैं। उसके 3 और बच्चे, उनके पिता भूखे-प्यासे पहाड़ी पर एक गुफा में फंसे हैं।

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हशीस ने बताया- वायनाड में लैंडस्लाइड वाले दिन शांता अपने बच्चे के साथ जंगल में दिखी। लेकिन उसने कहा कि वह सिर्फ घूम रही है। हमें पता था, वे भूखे थे और जंगल में अंदर जाने की तैयारी में थे।

दो दिन बाद वे लोग फिर दिखाई दिए। इस बार वे हमें देखकर भागे नहीं। उनकी हालत भूख से खराब हो चुकी थी। पूछने पर शांता ने बताया कि उसका परिवार पहाड़ी पर एक गुफा में फंसा हुआ है।

हमने 4 लोगों की टीम बनाई। भारी बारिश के बीच फिसलन भरी और खड़ी चट्टानों से होकर टीम ने 8 घंटे की कोशिश के बाद इन्हें निकाला। फिसलन भरी चट्टानों पर चढ़ने के लिए पेड़ों से रस्सियां बांधनी पड़ीं।

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जब हम गुफा के पास पहुंचे तो तीन बच्चे और एक शख्स वहां बैठे हुए थे। हमने उन्हें अपने पास बुलाया। वे सामने नहीं आ रहे थे। काफी समझाने के बाद उनके पिता हमारे साथ आने के लिए राजी हो गए।

हमारे पास सिवाय रस्सी के कुछ नहीं था। एक चादर के तीन टुकड़े करके हमने बच्चों को अपने शरीर से बांध लिया और वापस अपनी यात्रा शुरू कर दी। कैंप तक आने में करीब साढ़े 4 घंटे लग गए।

हशीस ने बताया- पनिया समुदाय के ये लोग बाहरी लोगों से बातचीत करने से बचते हैं। वे आम तौर पर वन उत्पादों पर आश्रित रहते हैं और उन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर चावल खरीदते हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि लैंडस्लाइड और भारी बारिश के कारण वे कई दिनों से भूखे थे।

जब वे हमारे पास आए तो हमने देखा कि बच्चे बहुत थके हुए थे। हम अपने साथ खाने-पीने का जो भी सामान ले गए थे पहले उन्हें खिलाया। पानी पिलाया और पीठ पर बांधकर पहाड़ के नीचे लाए।

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