Lucknow: लोकबंधु अस्पताल में सोमवार रात आग लगने से एक मरीज की मौत हो गई।
करीब 200 मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। आग लगने के बाद ऑन ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ मौके से भाग गए। कर्मचारियों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन फायर एक्सटिंग्युशर काम नहीं आए। इतना ही नहीं, कैंपस में तैनात सुरक्षा गार्ड को आगलगने की भनक तक नहीं लगी।
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, 1 अप्रैल यानी 15 दिन पहले नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड्स (NQAS) की टीम ने अस्पताल में जांच की थी, जिसमें कुछ खामियां सामने आई थीं। फायर नोडल इंचार्ज को इन्हें सुधारने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन्हें समय रहते दुरुस्त नहीं किया गया। इसके अलावा, 25 जनवरी को अस्पताल की फायर NOC की अवधि समाप्त हो गई थी।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में आग की घटना के लिए तीन जिम्मेदार सामने आए हैं। पहला- नोडल इंचार्ज पीएन अहिरवार। दूसरा- सिक्योरिटी सेल सुपरवाइजर डीबी सिंह। तीसरा- फायर प्रोटेक्शन
कॉन्ट्रैक्टर। हालांकि, अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अस्पताल के पास बड़ी पार्किंग
लोकबंधु अस्पताल के पास ही आशियाना के सेक्टर-M1 में एम्बुलेंस की बड़ी पार्किंग है, जहां एम्बुलेंस संचालक का कार्यालय स्थित है। यही वजह रही कि आग लगने की सूचना
मिलते ही 30 से ज्यादा एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गईं। इससे मरीजों को तुरंत दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सका। खासकर ICU और NICU के मरीजों की जान बचाने में यह मददगार
साबित हुआ।
आग लगने की खबर मिलते ही स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक मौके पर पहुंच गए। उनसे दो मिनट पहले जिलाधिकारी विशाख जी. अय्यर पहुंचे थे। मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के
चलते अस्पताल प्रशासन तुरंत अलर्ट हो गया। इससे राहत कार्यों में तेजी आई।